भारत के नीति निर्माता पश्चिमी सोच से प्रभावित हैं। इसी कारण देश में निरंतर समस्याएं बढ़ती जा रही हैं। यदि नीति निर्माता स्वामी विवेकानंद के विचारों और सपनों को आत्मसात कर नीतियों का निर्धारण करें तो निश्चय ही सभी समस्याओं का सहज समाधान मिल सकता है। स्वामी विवेकानंद की रचनाओं और उनके प्रवचनों से कुछ विशिष्ट उद्धरण देते हुए लेखक हिमांशु शेखर ने यही इस पुस्तक में समझाने का प्रयास किया है। हिमांशु शेखर की गिनती तेजी से उभरते हुए युवा पत्रकारों में की जाने लगी है। जनसत्ता से अपने लेखन की शुरुआत करने वाले हिमांशु के लेख तकरीबन सभी प्रमुख पत्रा-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो रहे हैं। सक्रिय पत्रकारिता में कम समय में ही उनके लगभग 600 लेख अलग-अलग पत्रा-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं। अपने बेबाक लेखन से वे हमेशा चर्चा में बने रहते हैं। डायमंड बुक्स से हिमांशु शेखर की कई अन्य रचनाओं के साथ ही अत्यंत चर्चित पुस्तक ‘मैनेजमेंट और कार्पोरेट गुरु चाणक्य’ हिंदी के अलावा अंग्रेजी, बांग्ला, गुजराती, मराठी, तमिल, मलयालम, असमी एवं नेपाली में प्रकाशित हुई है।