जहाँ विज्ञान है वहाँ सिद्धांत है और जहाँ सिद्धांत है वहाँ सूत्र भी होते हैं। इंसान कर्म तो कर रहा है लेकिन उसके मन में यही विचार होते हैं कि इसके बदले में मुझे कुछ मिलना चाहिए। उसका ध्यान फल में ही लगा रहता है इसलिए कर्म की गुणवत्ता निम्न हो जाती है। ऐसा कर्म न आनंद देता है, न मुक्ति।
जब आपसे निष्काम कर्म होते हैं तब आपके कर्म ही आपके लिए फल बनते हैं, महाआनंद और मुक्ति का कारण भी बनते हैं। यह तभी संभव होगा जब आप कर्म नियम के सूत्रों को जानकर उन्हें अपने जीवन में उतारेंगे।
यह पुस्तक आपको सिखाएगी -
* कर्मों के पीछे से झाँक रहे, अपने चार चेहरों को पहचानना
* दूसरों के कर्मों से स्वयं को दूर रख पाना
* श्रेय न लेने से कर्मों के फल पर होनेवाला असर
* कर्म ही सफल फल कैसे बनता है
* हर कर्म के साथ कर्म नियम सूत्र जुड़ता है तो
कर्म की गुणवत्ता कैसे बढ़ती है
* पाँच तरह की कामनाओं से मुक्त होकर, जीवन सफल कैसे बनता है
* कर्म को अभिनय बनाने से आनंद की अवस्था कैसे आती है
* तीन तरह के कर्मर्पण करने से महाफल के द्वार कैसे खुलते ह..
सरश्री की आध्यात्मिक खोज का सफर उनके बचपन से प्रारंभ हो गया था। इस खोज के दौरान उन्होंने अनेक प्रकार की पुस्तकों का अध्ययन किया। इसके साथ ही अपने आध्यात्मिक अनुसंधान के दौरान अनेक ध्यान पद्धतियों का अभ्यास किया। उनकी इसी खोज ने उन्हें कई वैचारिक और शैक्षणिक संस्थानों की ओर बढ़ाया। इसके बावजूद भी वे अंतिम सत्य से दूर रहे।
उन्होंने अपने तत्कालीन अध्यापन कार्य को भी विराम लगाया ताकि वे अपना अधिक से अधिक समय सत्य की खोज में लगा सकें। जीवन का रहस्य समझने के लिए उन्होंने एक लंबी अवधि तक मनन करते हुए अपनी खोज जारी रखी। जिसके अंत में उन्हें आत्मबोध प्राप्त हुआ। आत्मसाक्षात्कार के बाद उन्होंने जाना कि अध्यात्म का हर मार्ग जिस कड़ी से जुड़ा है वह है - समझ (अंडरस्टैण्डिंग)।
सरश्री कहते हैं कि ‘सत्य के सभी मार्गों की शुरुआत अलग-अलग प्रकार से होती है लेकिन सभी के अंत में एक ही समझ प्राप्त होती है। ‘समझ’ ही सब कुछ है और यह ‘समझ’ अपने आपमें पूर्ण है। आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्ति के लिए इस ‘समझ’ का श्रवण ही पर्याप्त है।’
सरश्री ने ढाई हज़ार से अधिक प्रवचन दिए हैं और सौ से अधिक पुस्तकों की रचना की हैं। ये पुस्तकें दस से अधिक भाषाओं में अनुवादित की जा चुकी हैं और प्रमुख प्रकाशकों द्वारा प्रकाशित की गई हैं, जैसे पेंगुइन बुक्स, हे हाऊस पब्लिशर्स, जैको बुक्स, हिंद पॉकेट बुक्स, मंजुल पब्लिशिंग हाऊस, प्रभात प्रकाशन, राजपाल अॅण्ड सन्स इत्यादि।