इस पुस्तक में मात्र गुरु-शिष्य की भूरी-भूरी बातें ही नहीं बल्कि कड़वी सच्चाइयां भी हैं जो तथाकथित साधु-संतों एवं गुुरु-बाबाओं का कोरा चिट्ठा भी खोलती हैं, जैसे- गुरु बनने का चस्का, बदल रही है गुरुओं की आभा-परिभाषा, गुरु बनना हुआ आसान, गुरु हुए बाजारू आदि कई व्यंग्य व कटाक्ष भी इस पुस्तक का हिस्सा हैं जो भीड़ में छिपे नकली गुरुओं का पर्दाफाश करते हैं।