Samajotthan ka Maulik Siddhant

· Nachiket Prakashan
5.0
10 ביקורות
ספר דיגיטלי
100
דפים
הביקורות והדירוגים לא מאומתים מידע נוסף

מידע על הספר הדיגיטלי הזה

   "समाजोत्थान का सिद्धांत" येव ग्रंथ पोवार समाज साती गौरवास्पद अना पथप्रदर्शक से. पोवार समाज येव 1700 को आसपास मालवा-राजस्थान लक स्थानांतरित भयेव व वैनगंगा अंचल मा स्थायिक भय गयेव. पोवार समाज येव सनातन हिन्दू धर्म को अभिन्न अंग से. सनातन हिन्दू धर्म येव दुनिया को सबसे प्राचीन व मोठो धर्म से. येव एकमात्र धर्म असो से कि जेन् स्वीकार्यता, आपसी सम्मान व शांति को मूल्यों को साथ विविध परंपराओं व मान्यताओं ला समाहित कर लेयी सेस. तात्पर्य, सनातन हिन्दू धर्म येव उदार व महान से.

    भारत वर्ष ला आज़ादी मिलेव को पश्चात यहां लोकशाही शासन पद्धति को स्वीकार करेव गयेव. येको कारण भारत मा समाजवादी, साम्यवादी, बहुजनवादी, आंबेडकरवादी, वामपंथी, राष्ट्रवादी असी अनेक विचारधारा अस्तित्व मा आयी. शिक्षण मा वामपंथी विचारधारा को प्रभाव बढ़ेव. राष्ट्र मा आधुनिकीकरण व पाश्चात्यीकरण को प्रचलन भी बढ़ेव. हिन्दू धर्म मा हिन्दू धर्म को विरुद्ध मान्यता वाला अनेक संप्रदाय अस्तित्व मा आया. असो एक वैचारिक विभिन्नता को माहौल मा पोवार समाज को समाजिक संगठन समाज ला योग्य दिशा देनो मा असमर्थ साबित होन लग्या. येन् अंधाधुंध परिस्थिति मा समाज मा भाषिक व सांस्कृतिक संकट की स्थिति उत्पन्न भयी. वैचारिक असमंजस की येन् स्थिति मा लक सामाजिक संगठन व समाज को प्रबुद्ध वर्ग ला सही दिशा देन की व समाज ला सैद्धांतिक अधिष्ठान देन की आवश्यकता अनुभव होन लगी. आधुनिक युग मा उत्पन्न येन् आवश्यकता को कारण प्रस्तुत लेखक को मन मा पोवार समाज की ऐतिहासिक, सैद्धांतिक, धार्मिक पार्श्वभूमी को आधार पर विविध उपयुक्त विचार सिद्धांत रुप मा समाज ला देनो परम् आवश्यक से, या अनुभूति होन लगी. परिणास्वरुप “समाजोत्थान का सिद्धांत”

 येव ग्रंथ साकार भयेव.

דירוגים וביקורות

5.0
10 ביקורות

על המחבר

आजतक मेरी लेखनी से कूल सात ग्रंथों का सृजन हुआ है उनमें से तीन ग्रंथ पोवार समाज से संबंधित है। यह तीनों संशोधन पर आधारित है l

   संशोधन के अनेक प्रकार है। उनमें से दो प्रमुख प्रकार है -1. मौलिक संशोधन एवं 2. व्यावहारिक संशोधन. मौलिक संशोधन द्वारा ज्ञान अथवा जानकारी में वृद्धि होती है व्यावहारिक संशोधन के द्वारा समस्या समाधान के उपाय सुझाए जाते है। मेरे द्वारा पोवार समाज से संबंधित तीन ग्रंथ लिखे गए है. इन इन तीनों ग्रंथों की अलग अलग विशेषता निम्नलिखित है -

1. प्रथम ग्रंथ है पोवारी भाषा संवर्धन के मौलिक सिद्धांत (Basic Principles of Promotion of the Powari Language)- यह ग्रंथ मौलिक और व्यावहारिक इन दोनों प्रकार के संशोधनों पर आधारित है। इसमें पोवारी भाषा के संबंध में विस्तृत जानकारी है तथा भाषा के उत्थान के लिए विविध सिद्धांत उपलब्ध है। ( Principles) दिए गए हैं।

2. पोवारों का इतिहास (History of the Powar Community1658-2022)- यह ग्रंथ मौलिक संशोधन पर आधारित है । यह ग्रंथ आज से लगभग 325 साल पहले1700 के आसपास 36 कुलीय पोवार समुदाय के मालवा से वैनगंगा अंचल में स्थानांतरित होने के कारण एवं पोवार समाज के सामाजिक, सांस्कृतिक, धार्मिक, आर्थिक आदि. सभी पहलुओं की विश्वसनीय जानकारी अवगत कराता है। 

    लेखक ओ सी पटले द्वारा लिखित 1.पोवारों का इतिहास और 2. पोवारी भाषा संवर्धन के मौलिक सिद्धांत यह दो ग्रंथ मौलिक संशोधन (fundamental research)पर आधारित है। उनके‌ द्वारा लिखा गया 3. समाजोत्थान के सिद्धांत यह तीसरा ग्रंथ व्यावहारिक संशोधन ( applied research) पर आधारित है।

   मौलिक संशोधन के द्वारा ज्ञान अथवा जानकारी में वृद्धि होती है। व्यावहारिक संशोधन के द्वारा समस्या समाधान के उपाय सुझाए जाते है। अतः उपर्युक्त तीनों ग्रंथों का अपना -अपना अलग महत्व है। 

3. समाजोत्थान के मौलिक सिद्धांत ( Basic Principles of Upliftment of the Powar Community)- यह ग्रंथ व्यावहारिक संशोधन पर आधारित है । अतः इसमें समाज की समस्याओं को निरुपित किया गया है और समस्याएं हल करने के लिए विविध सिद्धांत प्रस्तुत किए गये है। अतः समाज को योग्य दिशा देकर समाज का उज्ज्वल भविष्य साकार करने की दृष्टि से यह ग्रंथ महत्वपूर्ण है।

    तात्पर्य, पोवार समाज के प्रबुद्ध वर्ग एवं सामाजिक संगठनों के पदाधिकारियों द्वारा इन सभी ग्रंथों को पढ़ना समाजोत्थान की दृष्टि से महत्वपूर्ण एवं लाभकारी है।


इतिहासकार प्राचार्य ओ सी पटले 

संस्थापक - पोवार समाजोत्थान रिसर्च अकॅडमि , भारतवर्ष.

गुरु.4/5/2023.

רוצה לדרג את הספר הדיגיטלי הזה?

נשמח לשמוע מה דעתך.

איך קוראים את הספר

סמארטפונים וטאבלטים
כל מה שצריך לעשות הוא להתקין את האפליקציה של Google Play Books ל-Android או ל-iPad/iPhone‏. היא מסתנכרנת באופן אוטומטי עם החשבון שלך ומאפשרת לך לקרוא מכל מקום, גם ללא חיבור לאינטרנט.
מחשבים ניידים ושולחניים
ניתן להאזין לספרי אודיו שנרכשו ב-Google Play באמצעות דפדפן האינטרנט של המחשב.
eReaders ומכשירים אחרים
כדי לקרוא במכשירים עם תצוגת דיו אלקטרוני (e-ink) כמו הקוראים האלקטרוניים של Kobo, צריך להוריד קובץ ולהעביר אותו למכשיר. יש לפעול לפי ההוראות המפורטות במרכז העזרה כדי להעביר את הקבצים לקוראים אלקטרוניים נתמכים.