प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संस्कृति विमर्श में सृजनात्मक आयाम जोड़े हैं। जैसे संस्कृति क्या है? संस्कृति के अध्ययन की पद्धति क्या हो? समाज और परंपरा से प्राप्त किस गुण को संस्कृति कहेंगे ? संस्कृति संबंधी सूचनाओं के स्रोत को कैसे जानें ? संस्कृति के मुद्दे और अवधारणाएँ क्या होनी चाहिए? संस्कृति से नियंत्रित होने का मनोभाव कैसे पैदा करें ? इस तरह यह पुस्तक भारत की सनातन संस्कृति के मौलिक सिद्धातों का समसामयिक निरूपण है। इससे भारतीय संस्कृति के अर्थ में विस्तार हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इन भाषणों को पढ़कर कोई भी भारतीय संस्कृति के मर्म और मूल्य को आत्मसात् कर सकता है।
- पुरोकथन से
रामबहादुर राय
पत्रकारिता जगत् का जाना-पहचाना नाम। अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय, रीवा, मध्य प्रदेश से डी.लिट. की मानद उपाधि। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् में राष्ट्रीय सचिव रहे। जे.पी. की प्रेरणा से बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में सक्रियता। 1974 के बिहार आंदोलन में पहले मीसाबंदी। इमरजेंसी में भी जेलयात्रा। 'नवभारत टाइम्स', 'जनसत्ता' और 'यथावत' जैसी पत्र-पत्रिकाओं में वरिष्ठ स्तर पर कार्य। संप्रति इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के अध्यक्ष। एस.जी.टी. यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति सहित कई उच्च स्तरीय संस्थाओं से संबद्ध ।
'भारतीय संविधान अनकही कहानी', 'रहबरी के सवाल', 'मंजिल से ज्यादा सफर', 'शाश्वत विद्रोही राजनेता आचार्य जे.बी. कृपलानी', 'नीति और राजनीति' जैसी कई बहुचर्चित पुस्तकों के लेखक। कई पुस्तकों का संपादन। 'पद्मश्री' सहित अनेक सम्मानों से अलंकृत।
प्रभात ओझा
इलाहाबाद विश्व- विद्यालय से हिंदी में एम.ए., पी-एच.डी.। आज, दैनिक जागरण और अमर उजाला, कुछ इलेक्ट्रॉनिक चैनल्स और हिंदुस्थान समाचार में कार्य। 'यथावत' पत्रिका के समन्वय संपादक। फिलहाल एसोशिएट एडिटर, मीडिया सेंटर, आइजीएनसीए। राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा और हिंदी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग से जुड़ाव। शिवपुरी से श्वालबाख तक, गांधी के फीनिक्स और शहीद पत्रकार रामदहिन ओझा आदि पुस्तकें प्रकाशित।