देश भर के महापुरुषों ने इस महापुरुष को श्रद्धांजलि अर्पित की थी। हैदराबाद के ‘द डेक्कन क्रॉनिकल’ ने लिखा था—‘‘स्वामी विवेकानंद की तरह वे भी भारत की आत्मा की साकार मूर्ति थे।’’ ‘नवभारत टाइम्स’ ने लिखा था—‘‘विचार और आदर्शों में मतभेद रखनेवाले लोग भी स्व. गुरु गोलवलकरजी के जीवन की निस्पृहता; तेजस्विता; त्याग और तपस्या को सहृदय स्वीकारते हैं। इन गुणों का हमारे राष्ट्रीय जीवन में से लोप हो रहा है। आदर्शों की व्यक्तिगत साधना आज के सैकड़ों विचारकों के हाथ में उपहास का विषय बन रही है; किंतु यह एक ऐतिहासिक निर्विवाद सत्य है कि कोई भी राष्ट्र एक शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में तब तक परिवर्तित नहीं हो सकता; जब तक उसमें उन गुणों का समावेश नहीं हो जाता; जो श्री गोलवलकरजी के जीवन में दृष्टिमान थे। इन महान् गुणों के समक्ष धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्रवादी जीवन-दर्शन की चमक फीकी पड़ जाती है।’’
‘द मदरलैंड’ ने लिखा था—‘‘आज श्रीगुरुजी जीवित नहीं हैं; किंतु असंख्य जीवनों में जो प्रकाशपुंज उन्होंने प्रकट किया है; वह जब-जब इस देश को अंधकार अपने में समेटने की कोशिश करेगा; तब-तब यह प्रकाश देश को अनेक तरीकों से प्रकाशित करेगा। उनका निधन हो जाने पर हम शोक प्रकट करते हैं; लेकिन अभी तक अजन्मी भविष्य की पीढ़ी यह सोचकर खुश होगी कि ऐसे एक फरिश्ते का इस धरती पर पदार्पण हुआ था। उनकी पवित्र स्मृति को हमारी भावभीनी अंजलि।’’देश भर के महापुरुषों ने इस महापुरुष को श्रद्धांजलि अर्पित की थी। हैदराबाद के ‘द डेक्कन क्रॉनिकल’ ने लिखा था—‘‘स्वामी विवेकानंद की तरह वे भी भारत की आत्मा की साकार मूर्ति थे।’’ ‘नवभारत टाइम्स’ ने लिखा था—‘‘विचार और आदर्शों में मतभेद रखनेवाले लोग भी स्व. गुरु गोलवलकरजी के जीवन की निस्पृहता; तेजस्विता; त्याग और तपस्या को सहृदय स्वीकारते हैं। इन गुणों का हमारे राष्ट्रीय जीवन में से लोप हो रहा है। आदर्शों की व्यक्तिगत साधना आज के सैकड़ों विचारकों के हाथ में उपहास का विषय बन रही है; किंतु यह एक ऐतिहासिक निर्विवाद सत्य है कि कोई भी राष्ट्र एक शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में तब तक परिवर्तित नहीं हो सकता; जब तक उसमें उन गुणों का समावेश नहीं हो जाता; जो श्री गोलवलकरजी के जीवन में दृष्टिमान थे। इन महान् गुणों के समक्ष धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्रवादी जीवन-दर्शन की चमक फीकी पड़ जाती है।’’
‘द मदरलैंड’ ने लिखा था—‘‘आज श्रीगुरुजी जीवित नहीं हैं; किंतु असंख्य जीवनों में जो प्रकाशपुंज उन्होंने प्रकट किया है; वह जब-जब इस देश को अंधकार अपने में समेटने की कोशिश करेगा; तब-तब यह प्रकाश देश को अनेक तरीकों से प्रकाशित करेगा। उनका निधन हो जाने पर हम शोक प्रकट करते हैं; लेकिन अभी तक अजन्मी भविष्य की पीढ़ी यह सोचकर खुश होगी कि ऐसे एक फरिश्ते का इस धरती पर पदार्पण हुआ था। उनकी पवित्र स्मृति को हमारी भावभीनी अंजलि।’’Pujaniye Shri Guruji Golvalkar by Narendra Modi: "Pujaniye Shri Guruji Golvalkar" is a tribute to Shri Madhav Sadashiv Golwalkar, the second Sarsanghchalak (chief) of the Rashtriya Swayamsevak Sangh (RSS). Narendra Modi provides insights into Guruji's life, philosophy, and contributions to the organization and the nation.
Key Aspects of the Book "Pujaniye Shri Guruji Golvalkar":
Tribute to a Leader: Narendra Modi pays homage to Shri Guruji Golwalkar and highlights his pivotal role in the RSS and his influence on India's cultural and social landscape.
Philosophical Insights: The book delves into Guruji's philosophical perspectives on nationalism, spirituality, and cultural preservation.
Historical Context: Readers gain an understanding of the historical context in which Guruji Golwalkar's ideas and leadership emerged.
Narendra Modi is a prominent Indian political leader and the Prime Minister of India. In "Pujaniye Shri Guruji Golvalkar," he sheds light on the life and contributions of Guruji Golwalkar, providing a perspective on a significant figure in Indian history.