Sravan Vigyan Ka Parichaya Vishes Kshichha Hetu

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About this ebook

यह पुस्तक मेरे जीवन की पहली पुस्तक है, इसलिए मैंने एक खूबसूरत रचना का निर्माण किया है। यह श्रवणबाधित बच्चों को सिखाने/ बताने के लिए बहुत ही उपयोगी साबित होगी। मैंने स्वयं से कोशिश की है कि श्रवणबाधित दिव्यांग बच्चों की समस्याओं को कम करने का प्रयास किया जाय, जिसमें यह प्रेरणादायक बुक या किताब हो सकती है। भारतवर्ष में ही नहीं वरन् विश्व के किसी भी कोने में रहने वाले श्रवणबाधित बच्चे या ट्रेनी जो श्रवणबाधित दिव्यांग बच्चों को पढ़ाने हेतु टीचर की समस्याएं होंगी, उन समस्याओं को देखते हुए इस किताब की रचना की गई है। इस किताब में बहुत ही सरल ढंग से समझाया गया है, सभी पहलुओं को ध्यान में रखा गया है। इस पर हमने मुख्य रूप से चर्चा की है कि सुनने की क्षमता कैसे कम होती है, उनको कैसे दूर किया जा सकता है। चाहे वह जन्म से पूर्व हो चाहे जन्म के समय हो या जन्म के बाद हो, विस्तार से चर्चा करके समझाया गया है। हमें विश्वास है कि यह हमारी प्रथम पुस्तक आप सभी शिक्षक, प्रशिक्षण के लिए बहुत ही लाभकारी होगी और आप अपनी शिक्षा में इस पुस्तक के माध्यम से प्रशिक्षणार्थियों को शिक्षा देंगे।

About the author

डॉ0 दीपक कुमार त्रिपाठी का जन्म दिनांक 08.11.1982 को प्रयागराज जनपद (उत्तर प्रदेश) के ग्राम ककरा पो. दुबावल में एक साधारण परिवार में स्व० श्री चन्द्रमणि त्रिपाठी व प्रभावती त्रिपाठी के घर हुआ था। जब वह डेढ़ वर्ष का हुआ तो पोलियो ने अपनी आगोश में ले लिया, जिसमें दिव्यांगता 50% हुई। तब दीपक ने शिक्षा को अपना हथियार बनाया और बेहतर शिक्षा-दीक्षा ग्रहण करने की मन में ठानी और स्वयं खूब पढ़े व दिव्यांगजनों को भी पढ़ाने का बीड़ा उठाइसी लक्ष्य को लेकर दीपक त्रिपाठी ने अपने पैर की दिव्यांगता को भुलाकर पहले उच्च शिक्षा में डबल एमए के बाद विशेष शिक्षा में (बी.एड. विशेष शिक्षा), श्रवणबाधितों के लिए एम.एड. विशेष शिक्षा में भाषाई विकास पर शोध कर पी.एचडी की उपाधि प्राप्त की। सन् 2006 से बेशिक शिक्षा विभाग, जनपद रामपुर में सर्व शिक्षा अभियान में विशेष शिक्षक (श्रवणबाधित बच्चों के लिए) के रूप में 11 वर्ष कार्य किया, साथ ही श्रवणबाधित महिलाओं के होने वाले दुष्कर्म के दौरान मा0 न्यायालय द्वारा श्रवणबाधित महिलाओं की बात सांकेतिक भाषा में न समझ पाने के कारण स्वयं उपस्थित होकर उनकी बात समझकर मा0 न्यायालय को बता, उनको उचित न्याय दिलाने का पुनीत कार्य करते हैं। इसके साथ ही दिव्यांग बच्चों में क्षमता विकास करने के लिए गायन-वादन के साथ हारमोनियम की ट्रेनिंग देकर उनकी अतिरिक्त क्षमतावर्धन का कार्य करते हैं तथा जनपद के गरीब श्रवणबाधित दिव्यांग बच्चों को सायं काल में निःशुल्क विशेष प्रकार की शिक्षा देकर उनको आगे बढ़ाने का कार्य करते हैं।इसके साथ ही विधानसभा सामान्य निर्वाचन-2017 में तत्कालीन जिलाधिकारी श्री अमित किशोर जी द्वारा दिव्यांगजन को शत-प्रतिशत मतदान करने को प्रेरित करने के उद्देश्य से “दिव्यांग आइकन’’ नियुक्त किया गया, जिसका बखूबी निर्वहन करते हुए मा0 निर्वाचन आयोग की अनुमति से मंडलायुक्त, मंडल मुरादाबाद, जिलाधिकारी / जिला निर्वाचन अधिकारी श्री अमित किशोर जी एवं पुलिस अधीक्षक, सी0डी0ओ0, जिला विद्यालय निरीक्षक, जिला दिव्यांगजन सशक्तिकरण अधिकारी, जिला बेशिक शिक्षा अधिकारी, जनपद रामपुर के सभी आला अधिकारियों के साथ-साथ जनपद का भ्रमण करके दिव्यांग मतदाताओं को शत-प्रतिशत मतदान हेतु प्रेरित किया, जिसके परिणामस्वरूप 90 प्रतिशत से ऊपर दिव्यांग मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। वर्तमान में नेहरु ग्राम भारती विस्वविद्यालय प्रयागराज के विशेष शिक्षा विभाग में असिस्टेन्ट प्रोफेसर के पद पर कार्य कर रहे हैं।

या।


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