प्रत्येक व्यक्ति के अंदर शक्ति का एक सिद्धांत होता है। इस सिद्धांत के बुद्धिमत्तापूर्ण उपयोग एवं मार्गदर्शन के द्वारा मनुष्य स्वयं अपनी आंतरिक शक्ति का विकास कर सकता है। मनुष्य में एक अंतर्निहित शक्ति होती है, जिसकी सहायता से वह जिस दिशा में चाहे, प्रगति कर सकता है और उसकी प्रगति की संभावनाओं की कोई सीमा भी दिखाई नहीं देती। अभी तक कोई मनुष्य किसी एक क्षेत्र में इतना महान् नहीं बन पाया है कि किसी और के उससे अधिक महान् बनने की संभावना न हो। यह संभावना उस मूल तत्त्व में है, जिससे मनुष्य बना हुआ है। प्रतिभा वह सर्वज्ञता है, जो मनुष्य के अंदर प्रवाहित होती रहती है।प्रतिभा योग्यता से बढ़कर होती है। योग्यता तो सिर्फ किसी एक क्षेत्र में विशेष कार्य करने की क्षमता हो सकती है, जो अन्य क्षेत्रों के अनुपात में इस क्षेत्र में अधिक हो; किंतु प्रतिभा आत्मा के कर्मों में, मनुष्य और भगवान् के मिलन के समान होती है। महान् व्यक्ति हमेशा अपने कर्मों से अधिक महान् होते हैं। वे एक ऐसी संचित शक्ति के संपर्क में होते हैं, जो असीमित होती है। हम नहीं जानते कि मनुष्य की मानसिक शक्ति की सीमा कहाँ है; हम यह भी नहीं जानते कि ऐसी कोई सीमा है भी या नहीं।
प्रत्येक व्यक्ति के अंदर शक्ति का एक सिद्धांत होता है। इस सिद्धांत के बुद्धिमत्तापूर्ण उपयोग एवं मार्गदर्शन के द्वारा मनुष्य स्वयं अपनी आंतरिक शक्ति का विकास कर सकता है। मनुष्य में एक अंतर्निहित शक्ति होती है, जिसकी सहायता से वह जिस दिशा में चाहे, प्रगति कर सकता है और उसकी प्रगति की संभावनाओं की कोई सीमा भी दिखाई नहीं देती। अभी तक कोई मनुष्य किसी एक क्षेत्र में इतना महान् नहीं बन पाया है कि किसी और के उससे अधिक महान् बनने की संभावना न हो। यह संभावना उस मूल तत्त्व में है, जिससे मनुष्य बना हुआ है। प्रतिभा वह सर्वज्ञता है, जो मनुष्य के अंदर प्रवाहित होती रहती है।प्रतिभा योग्यता से बढ़कर होती है। योग्यता तो सिर्फ किसी एक क्षेत्र में विशेष कार्य करने की क्षमता हो सकती है, जो अन्य क्षेत्रों के अनुपात में इस क्षेत्र में अधिक हो; किंतु प्रतिभा आत्मा के कर्मों में, मनुष्य और भगवान् के मिलन के समान होती है। महान् व्यक्ति हमेशा अपने कर्मों से अधिक महान् होते हैं। वे एक ऐसी संचित शक्ति के संपर्क में होते हैं, जो असीमित होती है। हम नहीं जानते कि मनुष्य की मानसिक शक्ति की सीमा कहाँ है; हम यह भी नहीं जानते कि ऐसी कोई सीमा है भी या नहीं।
Mahan Banne Ka Vigyan by Wallace D Wattles: This book provides insights into the principles of success and personal growth, highlighting the importance of visualization and positive thinking. With its focus on personal development and self-improvement, "Mahan Banne Ka Vigyan" is a must-read for anyone seeking to achieve success and happiness in life.
Key Aspects of the Book "Mahan Banne Ka Vigyan":
Personal Development and Self-Improvement: The book offers valuable information and advice about personal development and self-improvement, highlighting the importance of visualization and positive thinking in achieving success.
Inspiration and Motivation: The book provides a range of inspiring stories and anecdotes, showcasing the power of determination and self-belief in transforming lives.
Contemporary Relevance: The book highlights the contemporary relevance of these issues, showcasing the importance of personal growth and success in modern life.
Wallace D Wattles was an American author and speaker who is best known for his works on personal development and self-improvement. "Mahan Banne Ka Vigyan" is one of his popular works in Hindi.