BLESS TO BLISS
लेज़र लाइट, फोकस लाइट, प्रोजेक्टर लाइट या समुंदर के बीचों-बीच खड़ा लाइट हाऊस हो, सब अपनी किरणों का जादू बिखेरते हैं; रंगों का, रोशनी का कमाल दिखाते हैं। यह कमाल बाहर की दुनिया को रोशन करता है पर क्या आप जानते हैं कि एक किरण ऐसी भी है, जो आपके अंर्तजगत को रोशन करती है।
जैसे समुंदर में खड़ा लाइट हाऊस, दूसरों को तो रोशनी दिखाता ही है, साथ ही वह अपने चारों तरफ भी रोशनी बिखेरता है, जिससे उसके आस-पास की सभी चीज़ें साफ-साफ दिखाई देती हैं। उसी तरह जब हम दूसरों के लिए मंगल भावना रखते हैं तो हमारे अपने जीवन में भी बदलाव आने लगता है। जब हम लोगों को ब्लेसिंग्स् (आशीर्वाद) देते हैं यानी ब्लेस करते हैं तो हमारे जीवन में भी ब्लिस (सच्चा आनंद) आता है। जिससेः
* जीवन में सब कुछ सहजता से होने लगता है।
* जीवन का हर पहलू किरणों की रोशनी से जगमगा उठता है।
* मानसिक तौर पर आपका जीवन शांतिभरा होता है।
* सामाजिक पहलू में आपके रिश्ते प्रेमभरे बन जाते हैं।
* जीवन में समृद्धि आने लगती है।
* आपका अंतर्मन शुद्ध और पवित्र हो जाता है। पवित्र मन से सभी केलिए केवल प्रेम और करूणा ही बरसती है, दुआएँ ही निकलती हैं।
* डर, क्रोध, चिंताएँ, समस्याएँ मिट जाती हैं।
* खुले मन से निर्णय लेना आसान होने लगता है।
जिस तरह दीये की रोशनी की किरण आपके घर के कोने को रोशन कर देती है, उसी तरह इस पुस्तक रूपी महाकिरण से अपने मन के हर कोने को उज़ागर करें; करुणा की किरणों से अपने तथा दूसरों के जीवन में प्रेम, आनंद, मौन भर दें।
सरश्री की आध्यात्मिक खोज का सफर उनके बचपन से प्रारंभ हो गया था। इस खोज के दौरान उन्होंने अनेक प्रकार की पुस्तकों का अध्ययन किया। इसके साथ ही अपने आध्यात्मिक अनुसंधान के दौरान अनेक ध्यान पद्धतियों का अभ्यास किया। उनकी इसी खोज ने उन्हें कई वैचारिक और शैक्षणिक संस्थानों की ओर बढ़ाया। इसके बावजूद भी वे अंतिम सत्य से दूर रहे।
उन्होंने अपने तत्कालीन अध्यापन कार्य को भी विराम लगाया ताकि वे अपना अधिक से अधिक समय सत्य की खोज में लगा सकें। जीवन का रहस्य समझने के लिए उन्होंने एक लंबी अवधि तक मनन करते हुए अपनी खोज जारी रखी। जिसके अंत में उन्हें आत्मबोध प्राप्त हुआ। आत्मसाक्षात्कार के बाद उन्होंने जाना कि अध्यात्म का हर मार्ग जिस कड़ी से जुड़ा है वह है - समझ (अंडरस्टैण्डिंग)।
सरश्री कहते हैं कि ‘सत्य के सभी मार्गों की शुरुआत अलग-अलग प्रकार से होती है लेकिन सभी के अंत में एक ही समझ प्राप्त होती है। ‘समझ’ ही सब कुछ है और यह ‘समझ’ अपने आपमें पूर्ण है। आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्ति के लिए इस ‘समझ’ का श्रवण ही पर्याप्त है।’
सरश्री ने ढाई हज़ार से अधिक प्रवचन दिए हैं और सौ से अधिक पुस्तकों की रचना की हैं। ये पुस्तकें दस से अधिक भाषाओं में अनुवादित की जा चुकी हैं और प्रमुख प्रकाशकों द्वारा प्रकाशित की गई हैं, जैसे पेंगुइन बुक्स, हे हाऊस पब्लिशर्स, जैको बुक्स, हिंद पॉकेट बुक्स, मंजुल पब्लिशिंग हाऊस, प्रभात प्रकाशन, राजपाल अॅण्ड सन्स इत्यादि।