चार वेदों में यजुर्वेद द्वितीय वेद है। कर्मकाण्ड प्रधान इस वेद में जहां यज्ञों और और यज्ञ के विधानों का वर्णन, वहीं ज्ञान-विज्ञान, आत्म–परमात्मा तथा समाजोपयोगी सम्पूर्ण ज्ञान भी है। यजुर्वेद का ज्ञान जन-साधारण तक पहुंचे, इसी उद्देश्य से यहां उसे सरल हिंदी अनुवाद में प्रस्तुत किया जा रहा है।