Manoj kumar
हर मां बाप अपने बच्चों से बहुत उम्मीद लगाकर रखते हैं, लेकिन बच्चे को अपने मां बाप से भी कुछ उम्मीदें होती हैं इस चीज की परवाह वे बिल्कुल नहीं करते। वह ऐसे व्यवहार करते हैं जैसे मानो हमने इस बच्चे को जन्म देकर इस पर बहुत बड़ा उपकार किया है, और इसी बात का उनके अंदर इतना अहंकार हो जाता है कि बच्चे की कोई भी बात सुनने से पहले ही उसे यह जता देते हैं कि तेरे बारे में और तेरे भविष्य के बारे में हम तुमसे बेहतर जानते हैं, इसीलिए हमें मत समझा, हमने दुनिया देखी है। लेकिन सच तो यह है कि ऐसे मां-बाप ने दुनिया तो छोड़ो कभी अपने बच्चे की भावनाओं तक को ठीक से नहीं देखा या समझा। इसीलिए अब समय आ गया है कि मां बाप को यह नहीं सोचना चाहिए कि हमने बच्चे को जन्म देकर उस पर उपकार किया है बल्कि उन्हें मां-बाप के साथ-साथ उसका दोस्त बनकर भी रहना चाहिए, ताकि एक बच्चा अपने मन की हर बात मां-बाप से कह सके तभी एक बच्चे का शारीरिक और मानसिक विकास हो सकता है। धन्यवाद!