यह पुराण सर्वप्रथम भगवान् वराह ने पृथ्वी को सुनाया था, इसी कारण इसे –वराह पुराण’ कहा जाता है। वस्तुत भगवान् विष्णु ने ही पृथ्वी के उद्धार के लिए वराहावतार धारण किया था। इस अवतार में भगवान् वराह ने हिरण्याक्ष नामक दैत्य का वध कर पृथ्वी को एक सहस्र वर्ष तक अपने विशालमुख पर धारण किया था। इसके बाद नियम स्थान पर स्थापित होने के पश्चात पृथ्वी द्वारा भगवान् वराह के स्वरूप से संबंधित अपनी जिज्ञासाओं को प्रस्तुत करने पर भगवान वराह ने उन्हें पौराणिक तथा गूढ़ ज्ञान का उपदेश दि︎या था। भगवान् वराह द्वारा पृथ्वी को दि︎ए गए उसी दि︎व्य ज्ञान का इस पुराण पुराण में विस्तृत विवेचन किया गया है।