शालू के आँगन में लगा बरगद का पेड़ कब का कट चुका है, लेकिन सावन के बाद उसकी जड़ों के निर्जीव पड़े डुंड में हरी कोंपलें फूटने लगी हैं। शालू की उम्र पचास को पार कर चुकी है। पुराना होने के बाद भी, उसे आज भी याद है कि उसका नाम बहुत प्यार से उसके माँ-बाप ने रखा था। शालू में वह सारे गुण हैं, जो एक आदर्श गृहिणी में होने चाहिए। सुगढ़, खाना बनाने में निपुण, कम बोलनेवाली, दो प्यारे बच्चे, हँसमुख, दोस्तों की एक लंबी कतार, बड़े दिलवाली, फैशन की शौकीन, सफेद हो चुके उसके सारे बाल सिहा काले दिखते हैं, मजाल है, जो कभी मेहँदी का रंग छूट जाए। हाल ही में उसने अपने बालों पर कलर भी कराया है।