भृकुटियों के मध्य सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण स्थान है, वही है शिव नेत्र, वही है तीसरा नेत्र। इसके पास जैसे ही शक्ति आती है, आप जो सोचें वही तत्क्षण हो जाता है। आज्ञा चक्र चैतन्य व्यक्ति, सृष्टि की किसी भी इकाई को आदेश दे सकता है। आज्ञा चक्र दो दल नीचे के लोकों से सम्बन्ध स्थापित करता है। मध्य का ज्योतिर्लिंग का सम्बन्ध विश्व ब्रह्मांड के लोक-लोकांतरों से है। आप तीसरे नेत्र को प्राप्त करते ही आंतरिक शक्तियों के स्वामी बन जाते हैं। सृष्टि का रहस्य परत-दर-परत खुल जाता है। निर्गुण-सगुण, तर्क-वितर्क सभी से मुक्त हो जाते हैं। आप स्वयं बौद्ध संन्यासियों से मिलें। भगवान् शिव की पुरी का भ्रमण करें। श्रद्धावान गुरुभक्त के लिए सभी कुछ संभव है। असंभव है—कोरे बुद्धिवादी तार्किक के लिए।