डॉ सुनीता बच्चों की जानीमानी कथाकार हैं; जिनकी बाल कहानियाँ अपनी सादगी और सरलता के कारण सीधे बच्चों के दिलों में उतर जाती हैं। ‘साकरा गाँव की रामलीला’ उनकी बाल कहानियों का ताजा संग्रह है; जिसमें उनकी विविध रंगों की सुंदर; अनूठी और भावनात्मक कहानियाँ शामिल हैं।इस संग्रह में चुनी हुई तीस बाल कहानियाँ हैं; जिनमें हर कहानी का अलग रंग; अलग अंदाज; अलग खुशबू है। सुनीताजी का बचपन गाँव में बीता है और गाँव के ऐसे अद्भुत चरित्रों को उन्होंने देखा है; जो ऊपर से देखने पर अनपढ़ और अनगढ़ भले ही लगें; पर उनके दिल सचमुच सोने के हैं; जिनके भीतर से हर पल प्यार और इनसानियत का उजाला फूटता नजर आता है।बाल पाठक इन्हें पढ़ते हुए महसूस करेंगे कि उनके अपने सुखदुःख; परेशानियाँ; मुश्किलें और बहुत सी शिकायतें भी अलबेले बाल पात्रों के जरिए; खुदबखुद इन कहानियों के रूप में ढल गई हैं। इसलिए संग्रह की कहानियों से वे एक विशेष जुड़ाव महसूस करेंगे। साथ ही खेलखेल में बहुत कुछ सीखेंगे भी; जिनसे उनका जीवन महक उठेगा। वे खुद आगे बढ़ेंगे और उनके मन में औरों के लिए भी कुछनकुछ करने की सच्ची तड़प और लगन पैदा होगी। इस लिहाज से डॉ. सुनीता की बाल कहानियों की पुस्तक ‘साकरा गाँव की रामलीला’ को बच्चे हमेशा सहेजकर रखना चाहेंगे।भारतीयता के रंग में रँगी अनूठी भावनात्मक कहानियाँ।Sakra Gaon Ki Ramleela by Dr. Sunita: "Sakra Gaon Ki Ramleela" is likely a book that explores the tradition of Ramleela, a theatrical representation of the Ramayana, in the village of Sakra.
Key Aspects of the Book "Sakra Gaon Ki Ramleela":
Cultural Heritage: The book may delve into the cultural significance of Ramleela in the village of Sakra and its historical roots.
Theatrical Tradition: It might discuss the unique elements and traditions of Ramleela performances in Sakra.
Community and Celebration: "Sakra Gaon Ki Ramleela" could highlight how Ramleela brings the community together for celebration and storytelling.
The author, Dr. Sunita, may have a deep connection to the village of Sakra and a passion for documenting and preserving its cultural heritage through this book.