Sri Chitragupta Vanshavali aur Kayastha

BFC Publications
5.0
5 รีวิว
eBook
88
หน้า
คะแนนและรีวิวไม่ได้รับการตรวจสอบยืนยัน  ดูข้อมูลเพิ่มเติม

เกี่ยวกับ eBook เล่มนี้

इस पुस्तक का मुख्य उद्देश्य ब्रह्मा के 17वें मानस पुत्र भगवान श्री चित्रगुप्त और उनके 12 पुत्रों की वंशावली से संबंधित है। यह महादेश विभिन्न जातियों के समन्वय और समुच्चय से बना दुनिया का सबसे प्राचीन देश है, जिसकी सभ्यता और संस्कृति आज भी सारे संसार में श्रद्धापूर्वक देखी जाती है। इस भूमि के विविध विकास में सभी जातियों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है किन्तु कायस्थ जाति का प्रारंभ से शासन प्रशासन और कला साहित्य में

विशेष अनुभव और गुणवत्ता हासिल होने के बाद भी उतनी पहचान स्थापित नहीं कर सके। देश के सर्वांगीण विकास चाहे राजनीति या प्रशासन हो या अर्थशास्त्र या ज्ञान, विज्ञान, कला, साहित्य अथवा और भी अनेक अमूल्य योगदान के कीर्तिमान स्थापित हों, पर देश-प्रदेश और जाति का गौरव कायस्थों ने बढ़ाया है।मैंने बहुत चिन्तन कर गहराई से यह महसूस किया कि कायस्थों को अपनी जाति में उत्पन्न होने का उतना मान-अभिमान नहीं है जितना होना चाहिए। यह एक अजीब विसंगति और विडम्बना है कि प्रतिभा, कार्य कुशलता, उत्कृष्टता और जीवन के हर क्षेत्र में महान गुणवत्ता होते हुए भी चित्रांश बंधुओं में जातीय स्वाभिमान और आत्मसम्मान की वह चमक और तेज नहीं दिखाई देता जो उन दूसरी जाति के लोगों में देखने को मिलता है। मुझे लगता है कि इस हीन भावना के कारण तमाम गुणों और बुद्धि कौशल के बावजूद हमारा अपने निजी और छोटे दायरों में संकुचित होकर रह जाना तथा आपसी मेलजोल और संगठन का भावी अभाव है। बुद्धिजीवी समाज होते हुए भी बहुत सी कमी है।

प्राचीन काल में देश, धर्म, समाज, ज्ञान-विज्ञान, कला, साहित्य और अनेकानेक क्षेत्रों में कीर्तिमान स्थापित करने वाली एक महान जाति के लिए यह निश्चय ही चिंता और आत्मालोचन का विचारणीय विषय है। ऐसा भी नहीं है कि इस समाज के लोगों का ध्यान इस ओर नहीं जा रहा। लेकिन अलग-अलग दायरों में बात उठती आ रही है फिर भी समाज और श्रद्धेय नेताओं के साथ ही नागरिकों की प्रेरणा और मार्गदर्शन में कायस्थ समुदाय के अभ्युदय और संगठन में एक पहल और जबरदस्त शुरुआत की आवश्यकता है। भारत के राज्यों में कायस्थ मंडलों द्वारा समय-समय पर अपने स्तर पर प्रयास किये जा रहे हैं लेकिन ठोस परिणाम नहीं निकल पा रहे। मेरा प्रयास इस पुस्तक के माध्यम से यही है कि हम अपने वंश के प्रति जागरूक हों, संगठित हों और देश, समाज के विकास में अपना योगदान देकर, कायस्थ समुदाय एक होकर कार्य करे।

इस पुस्तक के प्रकाशन से ना केवल भगवान श्री चित्रगुप्त की वंशावली को लेकर समाज जागरूक होगा अपितु हम सब मिलकर इस राष्ट्र के विकास में सहयोग करते हुए अपनी पहचान को मिलकर एक कड़ी में जोड़ सकते हैं। मैं इस पुस्तक के माध्यम से समस्त कायस्थ समुदाय को बधाई एवं शुभकामनाएं देते हुए समाज के सभी सम्मानीय चित्रांश बंधुओं के भविष्य की मंगलकामना के साथ चित्रांश आराध्य भगवान श्री चित्रगुप्त जी के चरणों को सादर नमन करता हूँपुस्तक पर अपने विचार और सुझाव से अवश्य अवगत कराएं और किसी भी त्रुटि को क्षमा करें।

- ललित कुमार सक्सेना।



การให้คะแนนและรีวิว

5.0
5 รีวิว

ให้คะแนน eBook นี้

แสดงความเห็นของคุณให้เรารับรู้

ข้อมูลในการอ่าน

สมาร์ทโฟนและแท็บเล็ต
ติดตั้งแอป Google Play Books สำหรับ Android และ iPad/iPhone แอปจะซิงค์โดยอัตโนมัติกับบัญชีของคุณ และช่วยให้คุณอ่านแบบออนไลน์หรือออฟไลน์ได้ทุกที่
แล็ปท็อปและคอมพิวเตอร์
คุณฟังหนังสือเสียงที่ซื้อจาก Google Play โดยใช้เว็บเบราว์เซอร์ในคอมพิวเตอร์ได้
eReader และอุปกรณ์อื่นๆ
หากต้องการอ่านบนอุปกรณ์ e-ink เช่น Kobo eReader คุณจะต้องดาวน์โหลดและโอนไฟล์ไปยังอุปกรณ์ของคุณ โปรดทำตามวิธีการอย่างละเอียดในศูนย์ช่วยเหลือเพื่อโอนไฟล์ไปยัง eReader ที่รองรับ