रहे हैं।
छात्र एक मानव संसाधन है और उसे पढ़ाते समय यह बात अच्छी तरह गाँठ बाँधकर रख लेनी चाहिए। छात्रों को विशेष लाभ दिलाने के लिए यह बात हमेशा याद रखनी चाहिए कि दो छात्र एक तरह के कभी नहीं हो सकते। विद्यालय और शिक्षक किसी भी स्तर पर शिक्षा देने की अपनी जिम्मेदारियों से भाग नहीं सकते। उन्होंने विद्यादान का प्रण लिया है और यह उनकी नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि वे अंत तक यह देखें कि इसे अच्छी तरह निभाया गया अथवा नहीं।
शिक्षा के साथ प्रयोग करते हुए इस क्षेत्र में क्या करणीय है और क्या अकरणीय है तथा विद्यार्थी का हित किसमें है, यह बताने का सहज प्रयास इस पुस्तक में किया गया है।
शिक्षा के स्तर के उन्नयन के व्यावहारिक कदम बताती पठनीय पुस्तक।
ममता महरोत्रा
शिक्षा : एम.एस-सी. (प्राणी विज्ञान)।
कृतित्व : ‘अपना घर’, ‘सफर’, ‘धुआँ-धुआँ है जिंदगी’ (लघुकथा-संग्रह), ‘महिला अधिकार और मानव अधिकार’, ‘शिक्षा के साथ प्रयोग’ तथा अंग्रेजी में ‘We Women’, ‘Gender Inequality in India’, ‘Crimes Against Women in India’, ‘Relationship & Other Stories’ & ‘School Time Jokes’ पुस्तकें प्रकाशित। RTE Act पर लिखी पुस्तक ‘शिक्षा का अधिकार’ काफी प्रसिद्ध हुई और अनेक राज्य सरकारों ने इस पुस्तक को क्रय किया है। कुछ संक्षिप्त डॉक्यूमेंट्री फिल्मों का भी निर्माण किया है।
‘सामयिक परिवेश’ एवं ‘खबर पालिका’ पत्रिकाओं का संपादन। अनेक स्वयंसेवी संस्थाओं से संबद्ध।
संप्रति : निशक्त बाल शिक्षा एवं महिला अधिकारों से संबंधित कार्यों में संलग्न।