ईश्वर ने हमें एक उपहार दिया है - यह जीवन। इस उपहार के बदले ईश्वर ने भी हमसे एक उपहार की उम्मीद की है, जो हमें स्वयं को ही देना है। यह उपहार ही हमारे जीवन की सफलता निश्चित करेगा।
इस पुस्तक में हम समझेंगे, जब हमारा शरीररूपी मंदीर तमोगुण के तेल, रजोगुण की रेत और सत्वगुण के अहंकार से ग्रसीत होता है तो उसे पवित्र करने का मार्ग क्या है? अपनी प्रकृति को समझते हुए जानें कि आपके जीवन की सफलता में किन गुणों का सबसे अधिक योगदान होगा। ये ऐसे गुण हैं, जो आपको जीवन में आनेवाली समस्याओं के पार देखने की क्षमता देते हैं। ये आपको निराशा से बचाते हैं और तम, रज एवं सत्व से मुक्ति दिलाकर, गुणातीत अवस्था की ओर ले जातेे हैं। आइए, इन गुणों का अभ्यास करके स्वयं को वह उपहार दें, जिसके बाद इस शरीररूपी मंदीर में ईश्वर का निवास होगा।