अधिकांश लोगों ने सत्यवान-सावित्रीकी पौराणिक कथा सुनी होगी। क्या आप जानते हैं कि उस कथा में आपके लिए कौैनसे अदृश्य इशारे छिपे हुए हैैंं? कथा की हर घटना आपको कोई न कोई संकेत देती है, सत्य की ओर इशारा करती है। यह पुस्तक सत्यवान-सावित्री की पौराणिक कथा पर आधारित है। हकीकत में सावित्री हमारे शरीर का प्रतीक है। हर शरीर फिर वह स्त्री हो या पुरुष, सावित्री है और सत्यवान तेज अनुभव (ईश्वर) है।
सत्यवान-सावित्री की इस कथा को नए रूप में प्रस्तुत करके, आपको अपने अंदर के दस मूल विकारों से मुक्त करवाने का प्रयास इस ग्रंथ द्वारा किया जा रहा है। इन विकारों को मिटाने के लिए आपको दस अवतारों की जरूरत है, आपमें इन दस अवतारों को जगाने का कार्य यह ग्रंथ करेगा।
सरश्री की आध्यात्मिक खोज का सफर उनके बचपन से प्रारंभ हो गया था। इस खोज के दौरान उन्होंने अनेक प्रकार की पुस्तकों का अध्ययन किया। इसके साथ ही अपने आध्यात्मिक अनुसंधान के दौरान अनेक ध्यान पद्धतियों का अभ्यास किया। उनकी इसी खोज ने उन्हें कई वैचारिक और शैक्षणिक संस्थानों की ओर बढ़ाया। इसके बावजूद भी वे अंतिम सत्य से दूर रहे।
उन्होंने अपने तत्कालीन अध्यापन कार्य को भी विराम लगाया ताकि वे अपना अधिक से अधिक समय सत्य की खोज में लगा सकें। जीवन का रहस्य समझने के लिए उन्होंने एक लंबी अवधि तक मनन करते हुए अपनी खोज जारी रखी। जिसके अंत में उन्हें आत्मबोध प्राप्त हुआ। आत्मसाक्षात्कार के बाद उन्होंने जाना कि अध्यात्म का हर मार्ग जिस कड़ी से जुड़ा है वह है - समझ (अंडरस्टैण्डिंग)।
सरश्री कहते हैं कि ‘सत्य के सभी मार्गों की शुरुआत अलग-अलग प्रकार से होती है लेकिन सभी के अंत में एक ही समझ प्राप्त होती है। ‘समझ’ ही सब कुछ है और यह ‘समझ’ अपने आपमें पूर्ण है। आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्ति के लिए इस ‘समझ’ का श्रवण ही पर्याप्त है।’
सरश्री ने ढाई हज़ार से अधिक प्रवचन दिए हैं और सौ से अधिक पुस्तकों की रचना की हैं। ये पुस्तकें दस से अधिक भाषाओं में अनुवादित की जा चुकी हैं और प्रमुख प्रकाशकों द्वारा प्रकाशित की गई हैं, जैसे पेंगुइन बुक्स, हे हाऊस पब्लिशर्स, जैको बुक्स, हिंद पॉकेट बुक्स, मंजुल पब्लिशिंग हाऊस, प्रभात प्रकाशन, राजपाल अॅण्ड सन्स इत्यादि।