Shri Hanuman Chalisa

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यह पुस्तक मूलतः क्रिया अभ्यासी साधकों हेतु है अथवा ध्यानी साधकों हेतु है सामान्य व्यक्ति के लिए इस पुस्तक को समझना एक कठिन कार्य है, इस पुस्तक में लिखित आध्यात्मिक व्याख्या को समझने से पूर्व साधक को आंतरिक शरीर, कोष, चक्र एवं नाड़ी आदि की जानकारी होना आवश्यक है| इस पुस्तक के माध्यम से गुरुदेव श्रीम देवांशु जी द्वारा श्री हनुमान चालीसा में उपस्थित गुप्त आध्यात्मिक व्याख्या के विषय में जानकारी दी गयी है, गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा लिखित इस रचना की सामाजिक एवं आध्यात्मिक व्याख्या दोनों ही उपलब्ध है. यह पुस्तक हिंदी एवं इंग्लिश दोनों में लिखी गयी है जिससे हर व्यक्ति इसे आसानी से समझ सकें| पुस्तक की आवश्यकता – मनुष्य जब क्रिया का अभ्यास करते हैं वह प्रकृति के समस्त सत्य का दर्शन करते हैं और शब्दों की रचना की भी व्याख्या करते हैं की किस शब्द का अर्थ क्या है और उसका मनुष्य के शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है, प्रत्येक शब्द की रचना के पीछे रहस्य क्या है उसी प्रकार से गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित श्री हनुमान चालीसा के पीछे छुपे सत्य की इस पुस्तक के माध्यम से गुरुदेव ने व्याख्या की है| श्री हनुमान चालीसा में उपस्थित चौपाई में मनुष्य की मुक्ति से मोक्ष तक की यात्रा के सम्पूर्ण विधि विधान उपलब्ध हैं, आसन, क्रिया, मुद्रा, बंध एवं प्राणायाम इन सभी का पूर्ण योग उपस्थित है इस चालीसा में. यह पुस्तक मनुष्य के समस्त कर्म की व्याख्या करती है साथ ही साथ मनुष्य की आध्यात्मिक प्रगति में सहायक है| इस पुस्तक के माध्यम से साधक सम्पूर्ण रामायण की व्याख्या को भी समझ सकते हैं युद्ध के सत्य को, श्री राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न, माता सीता, हनुमान आदि सभी के विषय में पूर्ण सत्य को प्राप्त करेंगे. भविष्य में गुरु देव द्वारा श्रीमद भगवद गीता की भी आध्यात्मिक व्याख्या की जाएगी जो प्रत्येक अध्याय के अनुसार आप सभी के समक्ष प्राप्त होगी |

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About the author

श्रींम देवांशु जी धक्रयायोग के ईच्च साधक हैं एवं योग व् अध्यात्म के ऄन्य धवषय जैसे तंत्र, मन्त्र, यंत्र,अयुवेद,गंध,अहार अधद पर भी आन्हे भरपूर जानकारी है। श्रीम जी वतयमान समय में (धक्रयायोग ध्यान) सहस्त्रार साधना केंद्र एसोधसएशन एवं धनरोग्यं अयुवेद के संस्थापक हैं। श्रीम जी का धेय्य प्रत्येक व्यधि को धक्रयायोग ध्यान एवं धनरोग्य अहार के प्रधत जागरूक करना है।

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