राम प्रकृति हैं और रावण जीवन। प्रकृति मेरी आराध्य है, क्योंकि उसने मुझे जीवन दिया है। जीवन मेरे लिए महत्वपूर्णं है, क्योंकि वह है तभी मेरा अस्तित्व है। दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। इन्हें अलग कर देख पाना शायद संभव नहीं है। राम रूपी प्रकृति आज भी वहीं है, जहां पहले थी और रावण रूपी जीवन अभी भी चला जा रहा है, उसी गति से जो पहले से उसे हासिल है। कुछ नहीं बदला है, बस बदल गया है तो नजरिया। देखने और सोचने का। रावण हर जीवन का मूलाधार है। बस उसे देख पाने और सोच पाने की शक्ति किसी के पास नहीं है। आपके पास ज्ञान है, मान है, शक्ति है, बल है, संस्कार हैं...पंचमहाभूतों से बना हुआ शरीर है। आखिर यह रावण नहीं तो क्या है? रावण को राम जीवन यात्रा पूरी करने के बाद ही नसीब होते हैं। यही हाल जीवन और प्रकृति का है। जीवन अपनी यात्रा पूरी कर प्रकृति में समाहित हो जाता है। रावण—एक अपराजित योद्धा (Ravan Ek Aprajit Yoddha) यह किताब रावण की जिंदगी से जुड़ी घटनाओं पर आधारित है। जिसे शैलेंद्र तिवारी (Shailendra Tiwari) ने लिखा है। शैलेंद्र तिवारी पेशेवर पत्रकार हैं और ब्लॉगर भी हैं। किताब में रावण से जुड़े कई ऐसे पहलुओं को उजागर किया गया है, जो अभी तक सभी के सामने नहीं आए हैं। इस किताब में रावण के युवा काल से लेकर राम से बैर और उसके बाद के कई घटनाक्रमों को शामिल किया है। किताब दो हिस्से में आ रही है। पहला हिस्सा रिलीज हो रहा है, जिसमें रावण के तमाम पहलुओं को शामिल किया गया है। जबकि दूसरा हिस्सा कुछ समय बाद रिलीज किया जाएगा, जिसमें राम और रावण के युद्य को शामिल किया गया है।