सामाजिक विषमता तथा आर्थिक विवंचनाओं से त्रस्त हजारों युवकों की सृजनशीलता मिट्टी में मिल गई, परंतु कुछ होनहार पीड़ाग्रस्त युवक ऐसे भी निकले, जिन्होंने समस्त अभावों को मात देते हुए अपने सामर्थ्य को सिद्ध कर दिया और समाज में अच्छाई की भावना निर्मित कर दी। सामान्य लोगों के बीच से ही असामान्यता का जन्म होता है, जो आस-पास के समाज में ऊर्जा तथा लगन प्रदान करती है।
यह पुस्तक हमारी ग्रामीण जनता की गरीबी, अभाव, शिक्षा के निम्न स्तर तथा संघर्ष का एक आईना है। जीवन में कुछ बनने, कुछ कर गुजरने के लिए प्रोत्साहित करनेवाली प्रेरणादायी पुस्तक।