Maa Main Collector Ban Gaya: Bestseller Book by Rajesh Patil: Maa Main Collector Ban Gaya

· Prabhat Prakashan
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About this ebook

अत्यंत अभावग्रस्त स्थितियों से जूझकर आकाश को छूने की उड़ान भरनेवाले संघर्षमय प्रवास को ‘माँ, मैं कलेक्टर बन गया’ पुस्तक का नायक भले ही राजेश पाटील है, परंतु वह अनगिनत अभावग्रस्त युवकों का प्रतिनिधित्व करता है। एक बाल मजदूर के रूप में निरंतर संर्घषरत रहकर उसने अपने सपनों को कुचला नहीं, उन्हें खोया नहीं, बल्कि उन्हें साकार करने के लिए अद्भुत जिजीविषा और अदम्य इच्छाशक्ति का प्रदर्शन कर प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता पाई और कलेक्टर बन गया। उसने अपने जैसे सैकड़ों-हजारों बालकों-युवकों के लिए एक अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया।

सामाजिक विषमता तथा आर्थिक विवंचनाओं से त्रस्त हजारों युवकों की सृजनशीलता मिट्टी में मिल गई, परंतु कुछ होनहार पीड़ाग्रस्त युवक ऐसे भी निकले, जिन्होंने समस्त अभावों को मात देते हुए अपने सामर्थ्य को सिद्ध कर दिया और समाज में अच्छाई की भावना निर्मित कर दी। सामान्य लोगों के बीच से ही असामान्यता का जन्म होता है, जो आस-पास के समाज में ऊर्जा तथा लगन प्रदान करती है।

यह पुस्तक हमारी ग्रामीण जनता की गरीबी, अभाव, शिक्षा के निम्न स्तर तथा संघर्ष का एक आईना है। जीवन में कुछ बनने, कुछ कर गुजरने के लिए प्रोत्साहित करनेवाली प्रेरणादायी पुस्तक।

Ratings and reviews

4.3
34 reviews
Hari Choudhary
May 28, 2020
itni sachai maine phali bar....kisi ko imandari se likhte dekha... it's real motivation for a medium class student
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Jitendra Bijaule
February 25, 2019
very good book
3 people found this review helpful
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Ratnesh Kumar Bind
April 15, 2020
Very beautiful and motivational book
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About the author

उत्तर महाराष्ट्र राज्य के जलगाँव जिले के एक छोटे से गाँव ‘ताडे’ में राजेश पाटील का जन्म सन् 1975 में हुआ। उन्होंने पुणे विश्वविद्यालय से संख्याशात्र (स्टेटिस्टिक) में एम.एस-सी. की उपाधि प्राप्त की। सन् 2000 में भारतीय वायु सेना में एक भारतीय संख्याशास्त्र सेवा में चुन लिया गया। यहाँ कार्य करते हुए वे आई.ए.एस. की तैयारी करते रहे और अंत में सन् 2005 में भारतीय प्रशासनिक सेवा में (आई.ए.एस.) दाखिल हुए। अपने विगत जीवन के अनुभवों को लेकर उन्होंने मराठी में एक पुस्तक लिखी, साथ ही अन्य कई विषयों पर सामयिक लेख लिखे, जो स्थानीय अखबारों में प्रकाशित होते रहे। उनको ग्रामीण विकास, कृषि एवं कृषि विपणन, आदिवासी विकास एवं मायक्रोफाइनेंस जैसे विषयों में गहरी रुचि है। कोरापट, कंधमाल में जिला मजिस्ट्रेट के पद पर काम करने के पश्चात् अब मयूरभंज, (ओडिशा) में कलेक्टर एवं जिला मजिस्टे्रट के पद पर कार्यरत हैं।

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