Yugdrashta Vivekanand: Yugdrashta Vivekanand: Swami Vivekananda, The Prophet of Modern India by Rajeev Ranjan

· Prabhat Prakashan
4.0
3 reviews
Ebook
200
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About this ebook

स्वामी विवेकानंद का भारत में अवतरण उस समय हुआ, जब हिंदू धर्म के अस्तित्व पर संकट के बादल मँडरा रहे थे। पंडा-पुरोहित तथा धर्म के ठेकेदारों के कारण हिंदू धर्म घोर आडंबरवादी तथा पथभ्रष्ट हो गया था। ऐसे विकट समय में स्वामीजी ने हिंदू धर्म का उद्धार कर उसे उसकी खोई प्रतिष्ठा पुन: दिलाई। मात्र तीस वर्ष की आयु में स्वामी विवेकानंद ने शिकागो के विश्वधर्म सम्मेलन में हिंदू धर्म का परचय लहराया और भारत को विश्व के आध्यात्मिक गुरु का स्थान दिलाया।

स्वामीजी केवल संत ही नहीं थे, बल्कि एक प्रखर देशभक्त, ओजस्वी वक्ता, गंभीर विचारक, मनीषी लेखक और परम मानव-प्रेमी भी थे। मात्र उनतालीस वर्ष के अपने छोटे से जीवनकाल में उन्होंने जो काम कर दिखाए, वे आनेवाली पीढ़ियों का शताब्दियों तक मार्गदर्शन करते रहेंगे।

कवींद्र रवींद्र ने एक बार कहा था—“यदि भारत को जानना चाहते हो तो विवेकानंद को पढ़िए।” हिंदू समाज में फैली कुरीतियों का घोर विरोध करते हुए स्वामीजी ने आह्वान किया था—“उठो, जागो और स्वयं जागकर औरों को जगाओ। अपने नर-जन्म को सफल करो और तब तक रुको नहीं जब तक कि लक्ष्य प्राप्त न हो जाए।”

हमें विश्वास है, ऐस किसी विलक्षण तपस्वी के गुणों को आत्मसात् कर अपना तथा राष्ट्र का कल्याण किया जा सकता है—इसी विश्वास को बल देती है एक अत्यंत प्रेरणादायी पुस्तक—‘युगद्रष्टा स्वामी विवेकानंद’।

Ratings and reviews

4.0
3 reviews
Rajatkant Juyal
May 2, 2021
सर पेमेंट के बाद भी डाउनलोड क्यों नहीं हो रही पुस्तक ?
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Dilkush Kumar
June 25, 2024
very very useful app
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About the author

राजीव रंजन जन्म : 16 अप्रैल, 1961 को आरा (बिहार) में। शिक्षा : आरा के मॉडल इंस्टीट्यूट से मैट्रिक तथा जैन कॉलेज से बी.कॉम.। डॉ. सच्चिदानंद सिन्हा पत्रकारिता संस्थान (पटना) से ‘बैचलर ऑफ जर्नलिज्म’ का पाठ्यक्रम पूर्ण। पिता श्री अनंगजीत प्रसाद श्रीवास्तव ‘हीराजी’ से पत्रकारिता विरासत में मिली। पंद्रह वर्ष की उम्र से शीर्षस्थ पत्र-पत्रिकाओं—‘धर्मयुग’, ‘दिनमान’, ‘रविवार’ आदि में लिखना-छपना शुरू। 300 से अधिक रचनाएँ (कहानियाँ, कविताएँ, गजलें, लेख, साक्षात्कार, रिपोर्ताज, समीक्षाएँ, संस्मरण, शब्द-चित्र आदि) प्रकाशित। शोधपरक ‘चुनाव, लोकसभा और राजनीति’, ‘बिहार दर्पण’, ‘1000 राजनीति प्रश्‍नोत्तरी’ और 1000 फिल्म प्रश्‍नोत्तरी के अतिरिक्‍त बाल-साहित्य की दो पुस्तकें प्रकाशित। विभिन्न विषयों की 250 से अधिक पुस्तकों का संपादन। ‘दिल्ली प्रेस’ के संपादकीय विभाग में, ‘पुस्तक महल’ के संपादकीय प्रभारी, ‘हंस’ के सहायक संपादक तथा दूरदर्शन समाचार के शोध प्रभारी (अनु.) के रूप में कार्य किया। कुछ कार्य ‘सोनी टी.वी.’ के लिए भी किया। आकाशवाणी से ‘मेरी पसंद’, ‘सामयिकी’, कविताएँ आदि प्रसारित। स्काउट का ‘राष्‍ट्रपति पुरस्कार’ प्राप्‍त। निधन : 28 सितम्बर 2006 ।

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