Rajabhoj Mahakavya

· Nachiket Prakashan
5.0
Maoni 17
Kitabu pepe
100
Kurasa
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Kuhusu kitabu pepe hiki

भारतवर्ष के एक निर्माता शासक के रुप में राजाभोज को गौरवान्वित किया जाता है । वे भारतीय इतिहास के एक अनमोल रत्न तथा भारतवर्ष के एक दैदीप्यमान महापुरुष है । ऐसे महापुरुष कालजयी होते है । उनके विचारो एवं कार्यशैली में कालखंड एवं शासन तन्त्र के विभेदों को भेदकर मानव-मात्र का पथप्रदर्शित करने का अटूट सामर्थ्य अंतर्निहित होता है । इसलिये वर्तमान प्रजातांत्रिक युग में भी उनके जीवन- चरित्र एवं विचारों को जानना-समझना-अंगीकार करना यह मानवमात्र के लिये कल्याणकारी है ।


    राजाभोज यह एक दार्शनिक शासक थे । वे अपने चारुचर्या नामक जीवन- दर्शन विषयक ग्रंथ में उत्तम मानव-जीवन के लिये अत्यंत सुलभ मार्गदर्शक तत्व निर्देशित किये हैं । इन तत्वों को अंगीकार कर प्रत्येक मानव अपने जीवन को सार्थक, सफल एवं परिणामकारक बना सकता है । अत: प्रत्येक व्यक्ति ने स्वयं के कल्याण, उत्थान एवं लाभ के लिये राजाभोज का जीवन दर्शन (Philosophy of Life) जानना, समझना उपयुक्त है ।


   राजेश्वर भोज का शासन नैतिक मूल्यों (Moral Values) पर अधिष्ठित था । परिणामस्वरुप उनके शासन को व्यापक जन समर्थन प्राप्त हुआ एवं भारत एक शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में उभरकर आगे बढ़ा । उनके शासन से एक सीख हमें मिलती है कि, शासन यदि नैतिक मूल्यों पर अधिष्ठित हो तो, ऐसे शासन को व्यापक जनसमर्थन प्राप्त होकर राष्ट्र शक्तिशाली बन जाता है । यह केवल एक बोधप्रद तथ्य ही नही बल्कि यह एक अनमोल राजनैतिक सिद्धान्त है, जिसे कालचक्र भी किसी युग में अप्रासंगिक साबित नही कर सकता । अत: यह राजनैतिक सिद्धान्त आज भी स्थानीय से राष्ट्रीय स्तर के नेतृत्व के लिये पथप्रदर्शक है । राजाभोज का अध्ययन शासन एवं प्रशासन में कार्यरत व्यक्तियों के लिये भी प्रेरक, उपयुक्त एवं लाभदायक है ।  

    राजाभोज का राष्ट्रप्रेम, मातृभूमि के प्रति समर्पण भाव, सांस्कृतिक निष्ठा, शिक्षा के प्रति प्रगतिशील दृष्टिकोण, अध्यात्म के प्रति आस्था, लोककल्याणकारी भाव, राज्य के सैनिक सामर्थ्य के प्रति एवं आक्रांताओ के प्रति सजगता आदि. बातें आज भी प्रासंगिक एवं अनुकरणीय है ।


    महाराजा भोज भारतीय दर्शन, संस्कृति एवं न्यायनीति के नायक तथा उन्नायक है । अत: उनपर रचित मौलिक साहित्य सदैव अनमोल, अमर एवं प्रकाशमान रहेगा ही! प्रस्तुत ग्रंथ यह एक ऐतिहासिक महाकाव्य है । यह ग्रंथ सभी को कम समय में सहजता-सुलभता से एवं प्रसन्नतापूर्वक राजाभोज से सम्बन्धित ज्ञान हासिल करने का एक सुअवसर प्रदान करता है । यह महाकाव्य प्रबुद्ध जन एवं जिज्ञासू पाठकों को पूर्ण संतुष्टि प्रदान करेगा, यह निश्चयपूर्वक कहा जा सकता है । जयहिन्द! जय भारत!!

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Maoni 17

Kuhusu mwandishi

1. नाम - ओंकारलाल चैतराम पटले


2. जन्म दिनांक - 10 फरवरी 1946


3. जन्मभूमि - चैतन्य ग्राम मोहाड़ी, त. गोरेगाव जि- गोंदिया महाराष्ट्र) 441807


4. शैक्षणिक योग्यता- राजनीतिशास्त्र, इतिहास एवं शिक्षा इन विषयों में नागपुर विद्यापीठ द्वारा पदव्युत्तर पदवी प्राप्त । अक्टूबर 1989 में नागपुर विद्यापीठ से दुसरी बार दी गयी रजिनीति-शास्त्र इस विषय की पदव्युत्तर परीक्षा में गुणानुक्रम से प्रथम स्थान ( युनिव्हर्सिटी टॉपर) प्राप्त.


5. व्यावसायिक अनुभव- कला एवं शिक्षण महाविद्यालय में अध्यापन का प्रदीर्घ अनुभव । शिक्षण महाविद्यालय में प्राचार्य के रुप में निरंतर आठ वर्ष प्रशासन का अनुभव ।


6. प्रकाशित ग्रंथ - भवभूति, प्रतिबिंब एवं उत्तर मध्ययुगीन परगने कामठा पर ऐतिहासिक संशोधन- वीर राजे चिमना बहादुर (मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा अनुदान प्राप्त)


7. अनुवादित ग्रंथ - महर्षि जैमिनी रचित एवं राम गोपालजी बेदिल इनके द्वारा प्रकाशित अग्रभागवत इस प्राचीन संस्कृत ग्रंथ का मराठी में अनुवाद। 


8. संशोधनात्मक लेख- प्राचीन तीर्थ संरक्षिणी, जैन बालादर्श एवं अमर जगत इन क्रमश: लखनौ, इलाहाबाद तथा आगरा से प्रकाशित पत्र-पत्रिकाओं में महाकवि भवभूति सम्बधी लेख प्रकाशित एवं नागपूर से प्रकाशित क्रमश: शिक्षण संक्रमण तथा शिक्षण समीक्षा इन मासिक पत्रिकाओं में शिक्षा सम्बधी लेख प्रकाशित ।


9. सामाजिक कार्य- भवभूति रिसर्च अकॅडमि, आमगांव के अध्यक्ष पद पर कार्यरत, वीर राजे चिमना बहादुर फाऊंडेशन, गोंदिया के सक्रिय सदस्य, चैतन्य ग्राम निर्माण अभियान (भारतवर्ष) इस स्वनिर्मित राष्ट्रीय प्रकल्प के प्रयोग में कार्यरत ।


10. सम्मान- स्वामी विवेकानन्द बहुउद्देशिय शिक्षण संस्था, गोरठा (आमगांव), द्वारा "इतिहास रत्न" पुरस्कार से सम्मानित।


11. आगामी प्रकाशन - महाराजा भोज एवं सम्राट विक्रमादित्य प्रथम इनके विशेष संदर्भ के साथ मालवा से गोंडवाना की ओर हुये पोवार समाज के स्थानांतरण (Migration from 11th to18th Century) पर आधारित संशोधनात्मक ग्रंथ । 


दिग्विजय (विश्ववंदित स्वामी विवेकानन्द इनके समग्र जीवन-चरित्र पर आधारित अभूतपूर्व महाकाव्य ।


काव्यांजली (विवेकानन्द व्यक्तित्व एवं जीवन-दर्शन का मार्मिक विश्लेषण) प्रेरक, सारगर्भित एवं राष्ट्रभक्ति से अनुप्राणित सत्तर गीतों का संग्रह ।


ग्राम दर्शन (Village Philosophy)


पोवारी भाषा व्याकरण (Grammar of Powari Language)

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