लेखिका जिस सबसे आश्चर्यजनक बिंदु पर पहुँची हैं, वह है पी.बी. शेली का कवि के रूप में विवेकानंद पर प्रभाव, जिसके बल पर वे रोमांटिक वास्तविकता को शास्त्रीय दृष्टि में बदलने में सफल हुए। इस पुस्तक की अद्वितीयता यह है कि इसमें प्राकृतिक वस्तुओं के बजाय, विवेकानंद के अतिसंवेदनशील स्वरूप अथवा तत्त्व को उनकी कविताओं के विषय के रूप में प्रस्तुत किया गया है। जहाँ कवि विवेकानंद के बारे में सुनकर अधिकतर लोगों को आश्चर्य होता है, वहीं लेखिका ने विवेकानंद के जगत् की दार्शनिक कमियों को अपनी कविताओं में दार्शनिक समाधानों के प्रयास को इस तरह से खोजा है कि भौतिक रुझान से आध्यात्मिक रुझान अधिक सशक्त होकर उभरा है।