“पाकिस्तान में वह सभी कुछ है, जो कुछ हिन्दुस्तान में है...सिर्फ़ उदय प्रकाश जैसे कथाकार को छोड़कर।" -अजमल कमाल सम्पादक : आज, कराची, पाकिस्तान/
“उदय प्रकाश ने कहानी के शिल्प के अन्दरूनी ढाँचे को बदला है और कहानी कहने के बने-बनाये फॉर्म को तोड़ा है। शिल्प के नये प्रयोगों के साथ, नयी कथा जुगतों को आविष्कृत करते हुए जटिल संरचना वाली कुछ सरल एवं बहुआयामी कहानियाँ लिखी हैं। उनकी कहानियाँ प्रतीकों, चिह्नों व संकेतों की जो नयी संरचना एवं सूझ-मॉडल निर्मित करती हैं, उससे कहानी जहाँ कलात्मक स्तर पर सघन व सौन्दर्यवान बनती है, वहीं बहुअर्थी व दृष्टिसम्पन्न भी बनती है।" स्व. सरबजीत पल प्रतिपल : मार्च-जून 1998/
“उदय प्रकाश की कहानियों पर बहुत सारी अनर्गल समीक्षाएँ अभी तक लिखी गयी हैं, लिखी जा रही हैं। आगे नहीं लिखी जायेंगी, इसकी भी कोई गारण्टी नहीं है। ऐसा दरअसल इसी कारण है कि उदय प्रकाश हमारे अब तक के खाँचे या साँचे में फिट नहीं बैठते। हम जिस खाँचे में भी उन्हें फिट करते हैं, उनका कोई-न-कोई हाथ या पाँव बाहर निकला रह ही जाता है। कभी-कभी तो उनका सिर ही बाहर झाँकता दिखाई देता है और हमें लगने लगता है कि वे बड़ी शरारती और चुनौतीपूर्ण निगाहें चलाते और भौंहें मटकाते हम पर हँसे जा रहे हैं। हम हतप्रभ रह जाते हैं। ...क्या यह एक लेखक की अराजकता या 'अनुशासनहीनता' है?"
शम्भु गुप्त आलोचना : जनवरी-मार्च 2004
उदय प्रकाश (जन्म : 1952) को भारतीय एवं अन्तरराष्ट्रीय साहित्य में विशिष्ट स्थान प्राप्त है। देश और विदेश की लगभग समस्त भाषाओं में अनूदित और पुरस्कृत उनका साहित्य बदलते समय और यथार्थ का प्रामाणिक और साहसिक दस्तावेज़ है। ‘साहित्य अकादेमी', 'सार्क राइटर्स सम्मान', 'मुक्तिबोध सम्मान' आदि के अतिरिक्त उनकी रचनाओं के अनुवादों को भी कई महत्त्वपूर्ण अन्तरराष्ट्रीय सम्मान प्राप्त हैं।