काश कोई शायर को भी समझता तो बात होती !!
—--
उसके एक मैसेज का मुझपे कुछ यूँ असर होता है
रेगिस्तान सा तपता दिल मेरा पल में कश्मीर होता है ।
—--
वक़्त का तक़ाज़ा इतना भी बुरा नही था
उन्हें रास आ रही थी बे-वफ़ायी की ठंडक ,
हम कब तक वफ़ा की आग जलाए रखते !!
—--
किसी ने कहा; 'बेवजह, बेख़ौफ़ सी होती है मोहब्बत .....
फिर एक ख़्वाब सा टूटा;
तो पता चला, बेवफ़ा, बेहया भी होती है मोहब्बत....
—--
सुना है मरने के बाद साथ कुछ नहीं जाता ;
अब आवाज़ मत दो हमसे सुना भी नहीं जाता-
ये इश्क़ ना जाने कैसी बीमारी है ;
कुछ कहा भी नहीं जाता और रहा भी नहीं जाता-
—--
तमाम कसीदें पढ़ती रही;उनकी तस्वीरों के सहारे ...
फिर एक दिन यूँ हुआ ;
के वो आकर गले मिल गए…
——
जब तुम होठों पर मुस्कान और
बालों को संवारते हुए मुझसे मिलते हो,
शास्त्रों में उसे ही वध करना कहा गया है …
—--
तुम ना
बिल्कुल जलेबी सी हो,
उलझी हुई, पर मीठी सी हो ........
——
वक्त हमारे साथ, हसी करने लगे;
लब्ज़ कागज़ पर उतर कर, दिल्लगी करने लगे.....
जो कामयाब हैं, उन्हें मंजिल मिली
जिनका दिल टुट गया इश्क़ मे
वो आशिक़ शायरी करने लगे.....
हर्षिता सिंह , जो इस संकलन की संकलनकर्ता है , विश्व के सबसे पुराने शहर काशी (बनारस ) से हैं । इनकी उम्र १८. वर्ष है और ये नए दौर की नई लेखिका है , इन्हें ना केवल लेखन में रुचि है बल्कि इन्होंने कला के क्षेत्र में भी कई उपलब्धियां प्राप्त की है । यह २० संकलनों में सहलेखक है और अपनी एकल किताब (सोलो बुक) लिखने की तैयारी में हैं ।
इनका मानना है की लेखन के माध्यम से लोगों के दिलों को छुआ जा सकता है ।
आप इनसे इंस्टाग्राम पर भी जुड़ सकते हैं @labz_e_dil