Mehta Marathi GranthJagat - September 2014

· MEHTA PUBLISHING HOUSE
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आश्विन शुद्ध प्रतिपदेपासून नवमीपर्यंत नवरसाने नटलेल्या नित्यनूतन
नवलाईच्या नवरात्रींचा उत्सव सुरू होईल, हवेमध्ये धुपाचा गंध दरवळत राहील,
घटस्थापनेनंतर अवघ्या भूतलावर निसर्ग फुलांच्या माळा विणत येईल आणि
स्त्रीत्वाच्या परमोच्च आविष्काराचे, मातृत्वाच्या गौरवाचे शब्द-गीत चराचरांत भिनत
जाईल.
‘‘ऐलमा पैलमा गणेशदेवा, माझा खेळ मांडू दे करीन तुझी सेवा...’’ असा हा
नवरात्रोत्सव, आदिशक्ती, आदिमातेच्या उपासनेचे हे दिवस.
‘आपल्या शक्तीचा प्रचंड गर्व झालेल्या आणि त्यामुळेच उन्मत्त होऊन
देवादिकांना त्रास देणा-या महिषासूर नामक राक्षसाबरोबर देवीनं सलग नऊ दिवस
युद्ध केलं आणि शेवटी नवव्या दिवशी त्या राक्षसाचा वध केला आणि युद्ध संपलं,
तो विजयोत्सवाचा दिवस म्हणजे विजयादशमी अर्थात दसरा!’

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