जीवन को मैंने उसकी समग्रता में जीया है। न मैंने लोभ को छोड़ा; न मोह को; न काम को; न क्रोध को; न मद को ; न मत्सर को। शास्त्रों में जिनके लिए वर्जना थी; वे भी मेरे लिए वर्जित नहीं रहे। सब वंशी की तरह मेरे साथ लगे रहे। यदि इन्हें मैं छोड़ देता तो जीवन एकांगी को जाता। तब मैं यह नहीं कह पाता कि करील के कुंजों में राम रचानेवाला मैं ही हूँ और व्रज के जंगलों में गायें चरानेवाला भी मैं ही हूँ। चाणूर आदि का वधक भी मैं ही हूँ और कालिया का नाथक भी मैं ही हूँ। मेरी एक मुट्ठी में योग है और दूसरी में भोग। मैं रथी भी हूँ और सारथि भी। अर्जुन के मोह में मैं ही था और उसकी मोह-मुक्ति में भी मैं ही था।
जब मेघ दहाड़ते रहे; यमुना हाहाकार करती रही और तांडव करती प्रकृति की विभीषिका किसीको कँपा देने के लिए काफी थी; तब भी मैं अपने पूज्य पिता की गोद में किलकारी भरता रहा। तब से नियति न मुझपर पूरी तरह सदय रही; न पूरी तरह निर्दय। मेरे निकट आया हर हर्ष एक संघर्ष के साथ था।
कृष्ण के अनगिनत आयाम हैं। दूसरे उपन्यासों में कृष्ण के किसी विशिष्ट आयाम को लिया गया है। किंतु आठ खंडों में विभक्त इस औपन्यासिक श्रृंखला ‘कृष्ण की आत्मकथा’ में कृष्ण को उनकी संपूर्णता और समग्रता में उकेरने का सफल प्रयास किया गया है। किसी भी भाषा में कृष्णचरित को लेकर इतने विशाल और प्रशस्त कैनवस का प्रयोग नहीं किया है। यथार्थ कहा जाए तो ‘कृष्ण की आत्मकथा’ एक उपनिषदीय कृति है। ‘कृष्ण की आत्मकथा श्रृंखला के आठों ग्रंथ’
नारद की भविष्यवाणी
दुरभिसंधि
द्वारका की स्थापना
लाक्षागृह
खांडव दाह
राजसूय यज्ञ
संघर्ष
प्रलय Khandavdah (Krishna Ki Atmakatha Vol. V) by Manu Sharma: In the fifth volume of the "Krishna Ki Atmakatha" series, Manu Sharma explores the story of Khandavdah, an ancient forest, and the events that transpired within it, including the tale of Agni Deva and Arjuna.
Key Aspects of the Book "Khandavdah (Krishna Ki Atmakatha Vol. V)":
1. Ancient Forest: The book vividly narrates the events within the Khandavdah forest, where divine and mortal beings intersected.
2. Agni Deva and Arjuna: It delves into the story of Agni Deva and Arjuna's role in the forest's transformation.
3. Continuation of Epic: This volume continues to provide a mythological and historical perspective on Lord Krishna's journey.
Manu Sharma is the author of this volume, dedicated to uncovering the ancient tales and legends connected to Lord Krishna.