जब भी हम शहीद भगत सिंह को याद करते हैं, तो सुखदेव और राजगुरु के नाम उनके साथ लिये जाते हैं; उनके बलिदान महान् भगत सिंह की तरह महान् हैं।
भारतीय इतिहास के पन्नों में महानतम क्रांतिकारियों के रूप में उनके नाम हमेशा सुनहरे अक्षरों में दर्ज रहेंगे। सुखदेव और भगतसिंह में प्रगाढ़ दोस्ती थी और दोनों जीवन के अंतिम क्षणों तक एक साथ रहे थे। बचपन से ही सुखदेव ने ब्रिटिश राज के अत्याचारों को समझना शुरू कर दिया था, इसलिए उन्हें अपने देश में स्वतंत्रता की आवश्यकता बहुत पहले ही समझ आ गई थी, इसी कारण उन्हें आज एक क्रांतिकारी के तौर पर याद किया जाता है।