Kokancha Por

· Saptarshee Prakashan
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ই-বুক
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এই ই-বুকের বিষয়ে

ज्याचे आरमार त्याचा समुद्र… ही युक्ती जाणून भारतात आलेला प्रत्येक व्यापारी देश समुद्रावरचं आपलं स्थान बळकट करत होता. या परकीय सत्तांना तोंड द्यायचं आणि आपलं सार्वभौमत्व अबाधित ठेवायचं असेल तर आरमार पाहिजेच हे छत्रपती शिवाजी महाराजांनी ओळखलं होतं. ‘ याकरता आरमार अवश्यमेव करावे’ असे छत्रपतींचे आज्ञापत्र. शिवाजी महाराजांची राजनीती आज्ञापत्रात व्यक्त झाली आहे. महाराजांना आरमाराचे महत्त्व पटले, त्यामुळे त्यांनी मराठ्यांच्या स्वतंत्र आरमाराची निर्मिती केली. मराठ्यांच्या आरमाराचा उत्कर्षकाळ म्हणजे कान्होजी आंग्रे यांचा कालखंड. सरखेल कान्होजी आंग्रे यांचा दर्यावरचा दबदबा, त्यांचे प्रबळ आरमार, पोर्तुगीज, इंग्रज आणि जंजिऱ्याच्या सिद्दीबरोबर त्यांनी केलेल्या यशस्वी समुद्री लढाया; त्यांच्या दस्तकाशिवाय एकही जहाज समुद्रावर फिरू शकत नसे हा इतिहास लेखकाने या कादंबरीतून उभा केला आहे.

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