Jaishankar Prasad Ki Lokpriya Kahaniyan: Jaishankar Prasad Ki Lokpriya Kahaniyan: The Best Works of an Iconic Hindi Writer

· Prabhat Prakashan
4.8
20 ulasan
e-Buku
160
Halaman
Rating dan ulasan tidak disahkan  Ketahui Lebih Lanjut

Perihal e-buku ini

जयशंकर प्रसाद की श्रेष्ठ कहानियाँ

महान् कथाकार और हिंदी साहित्य जगत् में कहानी को एक संपूर्ण विधा के रूप में स्थापित करनेवाले श्री जयशंकर प्रसाद का योगदान अविस्मरणीय है। कहानी के क्षेत्र में प्रसादजी के पाँच कथा-संग्रह प्रकाशित हुए-‘छाया’, ‘प्रतिध्वनि’, ‘आकाशदीप’, ‘आँधी’ तथा ‘इंद्रजाल’। इन पाँचों कहानी संग्रहों में प्रसादजी की कुल 70 कहानियाँ प्रकाशित हईं। इन कहानियों में मानव-जीवन के प्रत्येक पहलू को प्रदर्शित किया गया है। करुणा, वात्सल्य के अतिरिक्त पारिवारिक संबंधों की गहराई तक पहुँचने का प्रयास प्रसादजी ने अपनी कहानियों में बखूबी किया है। शौर्य और वीरता की भी झलक उनकी कहानियों में स्पष्ट दिखाई पड़ती है।

काव्य, नाटक, कथा-साहित्य, आलोचना, दर्शन, इतिहास सभी क्षेत्रों में उनकी प्रतिभा अद्वितीय रही। ‘कामायनी’ जैसे महाकाव्य; ‘चंद्रगुप्त’, ‘स्कंदगुप्त’, ‘अजातशत्रु’ जैसे नाटक; ‘कंकाल’, ‘तितली’ जैसे उपन्यास तथा अनेक विशिष्ट कहानियाँ उनकी रचनात्मक दृष्टि को सार्थक करती हैं।

प्रस्तुत संग्रह में जयशंकर प्रसाद की चुनी हुई प्रसिद्ध कहानियाँ प्रस्तुत की गई हैं, ताकि ऐसे महान् साहित्यकार की रचनाएँ पाठकों के बीच अधिक-से-अधिक पहुँचें और वे इनका भरपूर लाभ उठाएँ।

Rating dan ulasan

4.8
20 ulasan

Perihal pengarang

महाकवि जयशंकर प्रसाद जन्म : 30 जनवरी, 1889 को काशी के प्रसिद्ध सुंघनी साहू परिवार में। शिक्षा : प्रारंभिक शिक्षा आठवीं तक, किंतु घर पर संस्कृत, अंगेजी, पालि, प्राकृत भाषाओं का अध्ययन। इसके बाद भारतीय इतिहास, संस्कृति, दर्शन, साहित्य और पुराण कथाओं का एकनिष्‍ठ स्वाध्याय। छायावादी युग के चार प्रमुख स्भों में से एक। प्रसाद एक युगप्रवर्तक लेखक थे, जिन्होंने एक ही साथ कविता, नाटक, कहानी और उपन्यास के क्षेत्र में हिंदी को गौरव करने लायक कृतियाँ दीं। प्रमुख रचनाएँ : ‘कानन वुक्‍तसुम’, ‘महाराणा का महत्त्व’, ‘झरना’, ‘आँसू’, ‘लहर’, ‘कामायनी’, ‘प्रेम पथिक’ (काव्य); ‘स्दंगुप्‍त’, ‘धुवस्वामिनी’, ‘चंद्रगुप्‍त’, ‘जनमेजय का नागयज्ञ’, ‘राज्यश्री’, ‘कामना’ (नाटक); ‘छाया’, ‘प्रतिध्वनि’, ‘आकाशदीप’, ‘आँधी’, ‘इंद्रजाल’ (कहानी -संग्रह) ; ‘कंकाल’, ‘तितली’, ‘इरावती’ (उपन्यास)। स्मृतिशेष : 14 जनवरी, 1937, वाराणसी में।

Berikan rating untuk e-Buku ini

Beritahu kami pendapat anda.

Maklumat pembacaan

Telefon pintar dan tablet
Pasang apl Google Play Books untuk Android dan iPad/iPhone. Apl ini menyegerak secara automatik dengan akaun anda dan membenarkan anda membaca di dalam atau luar talian, walau di mana jua anda berada.
Komputer riba dan komputer
Anda boleh mendengar buku audio yang dibeli di Google Play menggunakan penyemak imbas web komputer anda.
eReader dan peranti lain
Untuk membaca pada peranti e-dakwat seperti Kobo eReaders, anda perlu memuat turun fail dan memindahkan fail itu ke peranti anda. Sila ikut arahan Pusat Bantuan yang terperinci untuk memindahkan fail ke e-Pembaca yang disokong.