जिस समय खड़ी बोली और आधुनिक हिन्दी साहित्य किशोरावस्था में पदार्पण कर रहे थे। काशी के 'सुंघनी साहु' के प्रसिद्ध घराने में श्री जयशंकर प्रसाद का संवत् 1946 में जन्म हुआ। व्यापार में कुशल और साहित्य सेवी - आपके पिता श्री देवी प्रसाद पर लक्ष्मी की कृपा थी। इस तरह प्रसाद का पालन पोषण लक्ष्मी और सरस्वती के कृपापात्र घराने में हुआ। प्रसाद जी का बचपन अत्यन्त सुख के साथ व्यतीत हुआ। आपने अपनी माता के साथ अनेक तीर्थों की यात्राएं की। पिता और माता के दिवंगत होने पर प्रसाद जी को अपनी कॉलेज की पढ़ाई रोक देनी पड़ी और घर पर ही बड़े भाई श्री शम्भुरत्न द्वारा पढ़ाई की व्यवस्था की गई। आपकी सत्रह वर्ष की आयु में ही बड़े भाई का भी स्वर्गवास हो गया। फिर प्रसाद जी ने पारिवारिक ऋण मुक्ति के लिए सम्पत्ति का कुछ भाग बेचा। इस प्रकार आर्थिक सम्पन्नता और कठिनता के किनारों में झूलता प्रसाद का लेखकीय व्यक्तित्व समृद्धि पाता। गया। संवत् 1984 में आपने पार्थिव शरीर त्यागकर परलोक गमन किया।
Fictie en literatuur
អំពីអ្នកនិពន្ធ
វាយតម្លៃសៀវភៅអេឡិចត្រូនិកនេះ
ប្រាប់យើងអំពីការយល់ឃើញរបស់អ្នក។
អានព័ត៌មាន
ទូរសព្ទឆ្លាតវៃ និងថេប្លេត
ដំឡើងកម្មវិធី Google Play Books សម្រាប់ Android និង iPad/iPhone ។ វាធ្វើសមកាលកម្មដោយស្វ័យប្រវត្តិជាមួយគណនីរបស់អ្នក និងអនុញ្ញាតឱ្យអ្នកអានពេលមានអ៊ីនធឺណិត ឬគ្មានអ៊ីនធឺណិតនៅគ្រប់ទីកន្លែង។
កុំព្យូទ័រយួរដៃ និងកុំព្យូទ័រ
អ្នកអាចស្ដាប់សៀវភៅជាសំឡេងដែលបានទិញនៅក្នុង Google Play ដោយប្រើកម្មវិធីរុករកតាមអ៊ីនធឺណិតក្នុងកុំព្យូទ័ររបស់អ្នក។