महाभारत भारतीय वाङ्मय का अद्भुत ग्रंथ है; जिसमें पारिवारिक-सामाजिक संबंधों का अत्यंत हृदयग्राही चित्रण है। महाभारत के विभिन्न विषयों एवं कथाओं को आधार बनाकर साहित्य की विभिन्न विधाओं—काव्य; नाटक; उपन्यास; एकांकी आदि—में इसे अभिव्यक्ति प्रदान करने का भरसक प्रयत्न हुआ है; परंतु महाभारत के विभिन्न पात्रों की प्रामाणिक एवं सर्वांगीण विवेचना कम ही हुई है।
दो खंडों के इस ग्रंथ ‘महाभारत के पात्र’ में इसी अभाव की पूर्ति की गई है। पूर्ण रूप से मूल को आधार बनाकर शोधपरक विधि से पात्रों का चरित्रांकन किया गया है। प्रथम भाग में महाभारत के प्रमुख सात पात्रों—अर्जुन; भीम; द्रोण; भीष्म; अश्वत्थामा; कर्ण एवं अभिमन्यु का चरित्र-चित्रण है तथा दूसरे भाग में धर्मराज युधिष्ठिर; नकुल; सहदेव; सात्यकि; धृष्टद्युम्न; घटोत्कच; दुर्योधन; कृप; शल्य; धृतराष्ट्र; श्रीकृष्ण; विदुर; कृष्णद्वैपायन व्यास; द्रौपदी; कुंती; गांधारी; सुभद्रा तथा उत्तरा का चरित्र-चित्रण है। ग्रंथ की भाषा और शैली अत्यंत सरल एवं सुबोध है; जिससे पाठकगण विषय का पूरा लाभ उठा सकें। एक ओर जहाँ यह ग्रंथ विद्वज्जनों और शोधार्थियों के लिए उपयोगी है; वहीं सामान्य जन के लिए भी तुष्टिदायक एवं ज्ञानपरक है।MAHABHARATT KE PATRA-2 by JAGATNARAYAN DWIVEDI: Jagatnarayan Dwivedi continues his exploration of characters from the Mahabharata in this book, likely providing readers with more insights into the epic and its protagonists.
Key Aspects of the Book "MAHABHARATT KE PATRA-2":
Continuation of Character Exploration: The book delves further into the characters of the Mahabharata, offering readers additional profiles and narratives.
Enhanced Understanding: Jagatnarayan Dwivedi may expand on the stories and episodes from the Mahabharata, allowing readers to deepen their understanding of this ancient epic.
Mythological Resource: "MAHABHARATT KE PATRA-2" serves as a companion to the first volume, providing a comprehensive resource for Mahabharata enthusiasts.
JAGATNARAYAN DWIVEDI is an author dedicated to exploring and preserving the mythology and characters of the Mahabharata. This book is a continuation of his commitment to sharing these ancient stories.