Hindi Shabdanveshi Kosh (Hindi Thesaurus)

· Vani Prakashan
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हिंदी शब्दन्वेषी कोश (हिन्दी थिरारस) -हिंदी शब्दान्वेषी कोश (हिंदी थिसारस) ग्रंथ में हिंदी के सभी शब्दों और सभी शब्दों के सभी पर्यायों को लेने का प्रयास किया गया है। शब्दों के संज्ञा-विशेषण आदि रूप, लिंग, निर्देश तथा प्रयोग भी दिए गए हैं। सामान्यतया, इनके लिए अलग से कोश देखने की आवश्यकता नहीं है। यदि अर्थ मालूम हो और शब्द मालूम न हो तो उस शब्द को इस कोश में आसानी से ढूँढ़ा जा सकता है। इसके लिए शब्दों को वर्गों में बाँटा गया है। इन वर्गों में ऐसा तालमेल है कि किसी भी शब्द को उतनी जल्दी ढूँढ़ा जा सकता है, जितनी जल्दी शब्दकोश में किसी शब्द का अर्थ ढूँढ़ा जाता है। ऐसे हज़ारों नाम यानी शब्द हैं। जिनकी आए दिन ज़रूरत पड़ती है। ज़रूरत के समय उनको इस हिंदी शब्दान्वेषी कोश में तुरंत खोजा जा सकता है। इसके अलावा इसमें एक-एक शब्द के अनेक पर्याय हैं। यह हिंदी थिसारस हिंदी की शब्द सम्पदा बढ़ाने के लिए सर्वाधिक उपयुक्त है, जिसमें एक ओर समानार्थक शब्द और दूसरी ओर विपरीतार्थक शब्दों की खोज संभव की गई है। यह हिंदी थिसारस न केवल शब्दकोश और अर्थ कोश की आपूर्ति करता है, अपितु विलोम कोश में भी सहायक है। इसमें पर्यायवाची कोश का भी पूरा भंडार प्राप्त होगा इस हिंदी थिसारस में पाठकों के लिए अब कोई भी हिंदी में प्रसिद्ध शब्द दूर नहीं रहेगा, ऐसा प्रयास किया गया है।


यह कोश सभी शिक्षित व्यक्तियों के लिए है, जिन्हें हिंदी कोश की आवश्यकता पड़ती है । शब्द खोजी कोश और अर्थ खोजी कोश एक-दूसरे के पूरक हैं। जिन्हें सटीक शब्दों की जरूरत पड़ती है, ऐसे छात्र, अध्यापक, लेखक, पत्रकार, शोधकर्ता और वक्ता आदि के पास यह कोश होना अनिवार्य है। शब्द संबंधी संदर्भ ग्रंथ के रूप में यह कोश हर शिक्षालय और पुस्तकालय के लिए भी अपरिहार्य है। इस हिंदी थिसारस (हिंदी शब्दान्वेषी कोश) में हिंदी के सभी शब्दों और उनके सभी पर्यायों को समेटने का प्रयास किया गया है। हिंदी शब्दान्वेषी कोश के प्रकाशन से हिंदी का कोश भंडार पूर्ण होगा।

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Quelques mots sur l'auteur

जन्म : 06 दिसम्बर, 1980 (ग्राम नौली, ज़िला बस्ती, उत्तर प्रदेश)

शिक्षा : स्नातकोत्तरद्वय, पीएच.डी., हिन्दी (काशी हिन्दू विश्वविद्यालय) ।

अध्यापन अनुभव : काशी हिन्दू

विश्वविद्यालय, वाराणसी (2004-2006) ; श्रीविश्वनाथ महाविद्यालय, सुल्तानपुर (2006-08) ; जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय, चित्रकूट (2009-12); अटल बिहारी वाजपेयी हिन्दी विश्वविद्यालय, भोपाल (2013-2014 ); सरगुजा विश्वविद्यालय, अम्बिकापुर (2014-2019) हिमाचल प्रदेश केन्द्रीय विश्वविद्यालय, धर्मशाला (2019-2021 ) ।


प्रकाशित कृतियाँ : महामनीषी डॉ. हरवंशलाल ओबराय रचनावली (सं.) (2008), हिन्दी साहित्य के इतिहास लेखन की परम्परा (2009), सूरदास और उनकी सूरसारावली (2009), लोक साहित्य की साधना (2010), शोक और श्लोक (2010), प्रयोगवाद के पुरस्कर्ता कवि और अज्ञेय (2010), आँसू : काव्य और शैली (2010), हिन्दी कथा सरिता (2010), हिन्दी गद्य विधायन (2010), पालि भाषा : साहित्य और व्याकरण (2010), एकांकी सप्तक (2010), हिन्दी नाट्य साहित्य के चतुः स्तम्भ (2010), पत्रकारिता : सिद्धान्त और प्रयोग (2010), आधुनिक कविता के प्रतिमान (2010), हिन्दी निबन्ध नवनीत (2010), कबीर : कवि, साधक, समाज-सुधारक (2011), घनआनन्द कवित्त (2013), हिन्दी - आलोचना और हिन्दी नवरत्न (2014), हिन्दी साहित्य के इतिहास लेखन की समीक्षा (2014), संवादमिममद्भुतम् (2014), हिन्दी साहित्य : वस्तुनिष्ठ परिचय (2014), भोजपुरी साहित्य का इतिहास (2014), घनआनन्द ग्रन्थावली (2015), मानस वर्णानुक्रम कोश (2017), सिक्ख गुरुओं का प्रदेय ( 2018 ), राष्ट्रभाषा और हिन्दी राष्ट्र की अवधारणा ( 2020), स्वामी विवेकानन्द का हिन्दू चिन्तन, इत्यादि। अनेक पुस्तकें प्रकाशनाधीन।


सम्पादित एवं अनूदित संस्कृत-पुस्तकें : 22; सम्बद्धता : भारतीय साहित्य लोक संस्कृति संस्थान, बस्ती, उत्तर प्रदेश (संस्थापक- निदेशक); अखिल भारतीय नवोदित साहित्यकार परिषद्, लखनऊ


(राष्ट्रीय संयोजक) । सम्प्रति : विभागाध्यक्ष, प्रयोजनमूलक हिंदी विभाग, सन्त गहिरा गुरु विश्वविद्यालय, सरगुजा, अम्बिकापुर, छत्तीसगढ़।

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