गुरुचरण सिंह गांधी ने झींकपानी (झारखंड) की धूल भरी सड़कों से लेकर महानगर तक की दूरी अपने गाँववाले व्यक्तित्व को सँभाले हुए पूरी की है। वे खुद को फुलटाईम कॉरपोरेट वाला और पार्ट टाईम लेखक मानते हैं। उन्हें उनकी पुस्तक ‘कबीर इन कॉरपोरेट’ अंग्रेजी में और अब ‘कबीर के मैनेजमेंट सूत्र’ हिंदी में के अलावा उनके ब्लॉग www.mondaymusingbyguru ×ð´ ÂɸUæ Áæ ╤Ìæ ãñUÐ लिखने के अलावा इन्हें मैराथन दौड़ने में रुचि है। गुरुचरण कबीर को अपने मन और आत्मा के करीब महसूस करते हैं। इनके अपने शब्दों में ‘‘इनके मित्र और आलोचक इन्हें ‘गुरु’ के नाम से बुलाते हैं, जो इन्हें इसलिए भी अच्छा लगता है, क्योंकि इससे इन्हें एक ऐसी संजीदगी का बोध होता है, जिसके ये अभी योग्य नहीं हुए हैं।’’