एक मुस्कान, यानी हज़ार ग़मों का काम तमाम। कुछ ऐसा ही जादू रहा है गृहलक्ष्मी के इन चर्चित व्यंग्यों में। मुद्दा चाहे मुहब्बत हो या महंगाई, इन व्यंग्यकारों ने ऐसे है कलम उठाई कि हर व्यंग्य मनोरंजन भी देता है और मन को मंथन भी। पाठकों द्वारा बार-बार सराहे गए हास्य-व्यंग्य का आनंद आप भी उठाएं इस संकलन में।