Birsa Munda: The Untold Story of Birsa Munda by Gopi Krishna Kunwar

· Prabhat Prakashan
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सन् 1890-92 के कालखंड में छोटा नागपुर के अधिकतर वनवासी चर्च के पादरियों के बहकावे में आकर ईसाई बन गए थे। बिरसा मुंडा का परिवार भी इनमें शामिल था, परंतु शीघ्र ही पादरियों की असलियत भाँपकर बिरसा न केवल ईसाई मत त्यागकर हिंदू धर्म में लौट आए, वरन् उन्होंने उस क्षेत्र के अन्य वनवासियों की हिंदू धर्म में वापसी कराई।
यही बिरसा मुंडा आगे चलकर एक महान् क्रांतिकारी तथा ‘धरती-आबा’ (जगत्-पिता) के नाम से विख्यात हुए। बिरसा मुंडा ने अपने समाज के लोगों को पवित्र जीवन की शिक्षा दी। देश को स्वतंत्र कराने के प्रयास में अत्याचारी अंग्रेजों के विरुद्ध अपने समाज के लोगों में क्रांति-ज्वाला धधकाई। आखिर घबराकर अंग्रेज सरकार ने छल-कपट का सहारा लिया। उसने बिरसा को पकड़वाने पर 500 रुपए के इनाम की घोषणा की। अनेक मुंडा सरदारों पर भी इनाम घोषित कर दिए गए। आखिरकार विश्वासघातियों की मुखबिरी से रात में सोते समय बिरसा को बंदी बना लिया गया।
जीवित रहते हुए बिरसा मुंडा ने अपने शौर्यपूर्ण कार्यों से अंग्रेज सरकार की नींद उड़ा दी थी, मृत्यु के बाद भी वह उसके लिए भय का कारण बने रहे। इसलिए सुवर्ण रेखा नदी के घाट पर बिरसा का शव जेल-कर्मचारियों द्वारा कंडों की आग में गुपचुप तरीके से जला दिया गया। इसकी किसी को भनक तक नहीं लगी।
प्रस्तुत है एक आदिवासी क्रांतिकारी, देशप्रेमी, समाज-उद्धारक बिरसा मुंडा की पठनीय एवं प्रेरणादायी जीवनी।

Dive into the fascinating story of freedom fighter Birsa Munda, meticulously chronicled by Gopi Krishna Kunwar.
Gopi Krishna Kunwar's Birsa Munda
is a comprehensive biography of the legendary tribal leader who played a significant role in India's struggle for freedom. Kunwar paints a vivid picture of Munda's life, his leadership, and his resistance against British rule, making it a compelling read for those interested in India's freedom movement.
Birsa Munda, Gopi Krishna Kunwar, Indian freedom movement, Tribal leader, Historical biography, Resistance movements, Tribal rights, Indian authors, Indian history, Adivasi heroes

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About the author

गोपी कृष्ण कुँवर जन्म : 30 दिसंबर, 1970। शिक्षा : एम.ए., बी.जे.। वर्ष 2000 से साक्षरता अभियान से जुड़े हैं, सामाजिक कार्यों में रुचि, विभिन्न सामाजिक संगठनों से भी जुड़े हैं। उत्कृष्ट कार्य के लिए चार बार ‘अक्षर श्री’ सम्मान प्राप्त हुआ। वर्ष 2007 में उत्तर साक्षरता कार्यक्रम के सफल संचालन के लिए महामहिम राष्टपति प्रतिभादेवी सिंह पाटिल द्वारा ‘सत्येन मैत्रा स्मृति साक्षरता पुरस्कार’ प्रदान किया गया। ‘प्रभात खबर’ समाचार-पत्र के ब्यूरो प्रमुख, लोहरदगा आकाशवाणी, दूरदर्शन एवं पी.टी.आई. के संवाददाता। संपर्क : कुँवर भवन, अपर बाजार, लोहरदगा (झारखंड)।
Dive into the fascinating story of freedom fighter Birsa Munda, meticulously chronicled by Gopi Krishna Kunwar.

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