गिरिराजशरण ' जन्म : सन् 1944, संभल (उप्र.) डॉ. गिरिराज शरण की पहली पुस्तक सर 1964 में प्रकाशित हुई । तब से अनवरत साहित्य-साधना में रत आपकी लिखी एवं संपादित एक सौ के लगभग पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं । आपने साहित्य की प्राय: प्रत्येक विधा में साहित्य-सृजन किया है । हिंदी गजल में आपकी सूक्ष्म और धारदार सोच को गंभीरता से स्वीकार किया गया है । कहानी, एकांकी, व्यंग्य, ललित निबंध और बाल साहित्य के लेखन में गतिपूर्वक सलग्न डॉ. गिरिराज वर्तमान में वर्धमान महाविद्यालय, बिजनौर (उप्र.) के स्नातकोत्तर एवं शोध विभाग में वरिष्ठ हिंदी प्रवक्ता हैं । हिंदी शोध तथा संदर्भ-साहित्य की दृष्टि से प्रकाशित उनके विशिष्ट ग्रंथों- शोध-संदर्भ (तीन भाग), तुलसी मानस- संदर्भ तथा सूर साहित्य-संदर्भ-को गौरवपूर्ण स्थान प्राप्त है ।