Ashwathama: Mahabharat ka Shapit Yodha

· Manjul Publishing
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Livro eletrónico
200
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Acerca deste livro eletrónico

 इसे नियति की विडंबना ही कहेंगे कि महाभारत की गाथा का एक अत्यंत महत्वपूर्ण और अमर पात्र होने के बावजूद, अश्वत्थामा सदा उपेक्षित रहा है. पौराणिक साहित्य में अश्वत्थामा सहित और भी लोग हैं, जिन्हें अमर मन जाता है. परंतु जहाँ अन्य लोगों को अमर होने का 'वरदान' प्राप्त हुआ, वहीँ अश्वत्थामा को अमरता 'शाप' में मिली थी! 
युद्ध की कथा सदा निर्मम नरसंहार, निर्दोषों की हत्या और दुष्कर्मों की काली स्याही से ही लिखी जाती है. तो फिर महाभारत जैसे महायुद्ध में अश्वत्थामा से ऐसे कौन-से दो अक्षम्य अपराध हो गये थे, जिनके लिए श्रीकृष्ण ने उसे एकाकी व जर्जर अवस्था में हज़ारों वर्षों तक पृथ्वी पर भटकने का विकट शाप दे डाला? उसके मन में यह प्रश्न उठता है कि श्रीकृष्ण ने इतना कठोर शाप देकर उसके साथ अन्याय किया या फिर इसके पीछे भगवान का कोई दैवी प्रयोजन था? क्या अश्वत्थामा के माध्यम से भगवान कृष्ण आधुनिक समाज को कोई संदेश देना चाहते थे? 

अधिकांश जगत अश्वथामा को दुर्योधन कि भांति कुटिल और दुराचारी समझता है. लेखक ने इस उपन्यास में अश्वत्थामा के जीवन के अनछुए पहलुओं को उजागर करते हुए, उस महान योद्धा के दृष्टिकोण से महाभारत की कथा को नए रूप में प्रस्तुत किया है. 

साहित्य के कन्धों पर यह ज़िम्मेदारी है कि विस्मृत नायक-नायिकाओं को पुनर्स्थापित करें. 'अश्वत्थामा' इस श्रेणी में एक आवश्यक महनीय प्रयास है. 
- डॉ. कुमार विश्वास, कवि एवं राजनेता

अर्धसत्य, मनुष्य के लिए सदैव सुख का कारण और आत्म-मंथन का विषय रहा है. 'अश्वत्थामा' का पात्र इसी द्वंद्व का प्रतीक है.
- सुतपा सिकदार, लेखिका एवं फिल्म निर्माता.

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Acerca do autor

 आशुतोष गर्ग का जन्म 1973 में दिल्ली में हुआ. हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से एम.ए. (हिंदी) तथा दिल्ली स्नातकोत्तर डिप्लोमा (पत्रकारिता एवं अनुवाद) में प्राप्त करने के पश्चात् इंदिरा गाँधी मुक्ति विश्वविद्यालय से एम.बी.ए. (मानव संसाधन) की डिग्री प्राप्त की. स्कूल के दिनों से ही कविताएँ और कहानियाँ लिखने का सिलसिला आरंभ हो गया था और अब तक आपके द्वारा लिखी और अनुदित लगभग 15 किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं. आप अंग्रेज़ी और हिंदी दोनों भाषाओँ पर सामान रूप से अधिकार रखते हैं तथा अनुवाद के क्षेत्र में एक परिचित नाम हैं. 'दशराजन', 'द्रौपदी की महाभारत', 'आनंद का सरल मार्ग,' 'श्री हनुमान लीला' आदि हिंदी में आपके द्वारा किये गए प्रमुख अनुवाद हैं, जिन्हें काफ़ी सराहा गया है, आशुतोष नियमित रूप से समाचार-पत्र व पत्रिकाओं में लिखते हैं. वर्तमान में, रेल मंत्रालय में उप-निर्देशक के पद पर कार्यरत हैं.

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