Nyay Anyay

· Storyside IN · Vinamra Bhabal-এর কণ্ঠে
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'न्याय – अन्याय' मधली कथा समाजातील एका प्रतिष्ठित व्यक्तीची आहे. तो स्वतःच ती कथन करतो. पण तो त्याच नाव जाहीर करत नाही. स्वतः कथन करत असताना त्याच्या भावविश्वाची तो ओळख करून देतो. त्याची साधी- भाबडी पत्नी 'भावना' नेहमीच त्याच्या हो ला हो करत आली आहे. तिचा स्वतःच्या नवऱ्यावर गाढ विश्वास आहे. भावनाचा नवरा एक दुहेरी आयुष्य 'तरंगिणी' नामक युवतीसोबत गेली ५ वर्ष जगतोय. हे सर्व तो इतक्या शिताफीने करतो कि कोणालाही त्याचा संशय येत नाही. पुढे, असं काहीतरी घडतं की सर्व फासे उलटे पडतात. मग उरतात ते फक्त प्रश्न... तरंगिणी कोण? नवऱ्याचं काय होते? तरंगिणीचं काय होते? कथेतला ट्विस्ट? ...या प्रश्नांची उकल करण्यासाठी 'न्याय- अन्याय' नक्कीच ऐकायला हवं . या लघुकादंबरीची कथा जरी आपल्या ऐकण्यात, बघण्यात अथवा तत्सम वाचण्यातली असली, तरी ती वेगळी का आहे? हे समजून घेताना कथेतील पात्रं महत्वाची भूमिका बजावतात. पहिल्या भेटीतील 'तरंगिणी' आणि ५ वर्षातील 'तरंग'. तिचा बदलता स्वभाव वाचकाला अवाक करतं. मानवाचे आयुष्य नेहमीच असंख्य गुंतागुंतींनी जोडलेले असते. सुखी आयुष्य जगत असताना अनेकदा अशा गोष्टी घडतात की आयुष्याची घडी विस्कटते आणि मग ती बसवताना नाकीनऊ येतात. काही जण स्वत:च्या कर्माने आफत ओढवून घेतात तर काहीजण योगायोगाने दुष्टचक्रात अडकतात. हाच धागा पकडत प्रसिद्ध लेखक सुहास शिरवळकर यांची कादंबरी 'न्याय- अन्याय' ही लघुकादंबरी मानवी नात्यांमधले नेमके गुण दोष उघड करते.

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