प्रसिद्ध युवा लेखिका गीता श्री का यह उपन्यास कहानी है गोलमी नाम की एक युवा नृत्यांगना की जो 'सपने देखती नहीं बुनती है'. गोलमी को नृत्य विरासत में मिलता है लेकिन उसे हासिल करने के लिए उसे बग़ावत करनी पड़ती है. अपनी माँ से, अपने आप से. गोलमी अपने आप और अपनी विरासत से दूर जाने के लिए राजनीति में आती है और मिनिस्टर बन जाती है. लेकिन क्या राजनीति में वह ख़ुद को पा सकेगी? क्या उसके भीतर से नृत्य हमेशा के लिए मिट जाएगा? या अभी उसके जीवन एक और मोड़ आना बाकी है?