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बांग्ला के महान विद्रोही कवि क़ाज़ी नज़रूल इस्लाम की हिंदी में यह औपन्यासिक जीवनी हमें उस विराट व्यक्तित्व से मिलाती है जिसने बहुत हद बांग्ला मानस को परिभाषित किया. बांग्लादेश में नज़रूल की मान्यता राष्ट्रकवि की है.